APAAR Card: देश में लोगों के लिए बहुत से दस्तावेज जरूरी होते हैं. छोटे बच्चों के लिए भी अब सराकर ने नया कार्ड जरूरी कर दिया है. इस कार्ड का नाम है अपार कार्ड है. देशभर के आंगनबाड़ी केंद्रों में पढ़ने वाले 95.77 लाख बच्चों को अब अपना अपार आईडी कार्ड मिलेगा. इसमें तीन से छह साल तक के बच्चे शामिल होंगे. पहले बच्चों का आधार बनेगा और उसके आधार पर अपार आईडी तैयार की जाएगी.

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यह आईडी बच्चों का स्थायी शैक्षणिक रिकॉर्ड बनेगा. जिसमें पढ़ाई से जुड़ी हर जानकारी दर्ज रहेगी. इस पहचान नंबर के साथ बच्चों की सभी गतिविधियों को डिजिटल रूप से देखा जा सकेगा और सरकारी योजनाओं का लाभ भी आसानी से मिल पाएगा. यह काम जनवरी 2026 से शुरू होने वाला है. जान लें कैसे बनता है अपार कार्ड और क्या होते हैं इसके फायदे.

क्या है अपार कार्ड?

अपार कार्ड बच्चों के लिए एक यूनिक डिजिटल आईडी है. जिसे शिक्षा से जुड़ी सारी जानकारी एक जगह रखने के लिए बनाया गया है. इसमें बच्चा किस आंगनबाड़ी या स्कूल में है, उसकी उम्र, टीकाकरण, पढ़ाई की प्रगति, ट्रांजिशन रिकॉर्ड, परीक्षा रिजल्ट और दूसरी अहम जानकारी डिजिटल तौर पर सेफ रहती है. इससे बच्चों का पूरा रिकॉर्ड बिना कागज़ों के तुरंत देखा जा सकता है. कार्ड पूरे देश में मान्य होता है. इसलिए बच्चा कहीं भी शिफ्ट हो जा. उसकी शिक्षा से जुड़ा डेटा आसानी से ट्रैक किया जा सकता है. 

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कैसे बनेगी अपार आईडी?

समेकित बाल विकास सेवाएं निदेशालय ने पोषण ट्रैकर पर अपार आईडी का अलग सेक्शन तैयार किया है. हर बच्चे का आधार बनने के बाद अपार आईडी पोषण ट्रैकर ऐप से डाउनलोड की जाएगी. इस आईडी को तैयार करने के लिए एक लाख से ज्यादा आंगनबाड़ी सेविकाओं को ट्रेनिंग दी जा रही है. कार्ड में बच्चे का नाम, जन्मतिथि, फोटो, आईडी नंबर और अन्य जरूरी जानकारी दर्ज होगी.

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सरकार ने बताया कि यह आईडी स्कूल एडमिशन से लेकर स्कॉलरशिप, हेल्थ रिकॉर्ड और पोषण ट्रैकिंग तक हर जगह काम आएगी. शिक्षा नीति 2020 के तहत इसे राष्ट्रीय डिजिटल शिक्षा ढांचे से जोड़ा जा रहा है. जिससे बच्चे एक जगह से दूसरी जगह जाएं तो भी उनका डेटा सेफ और अपडेटेड रहे.

क्यों जरूरी है अपार कार्ड?

अपार आईडी बच्चों के लिए 12 अंकों की स्थायी पहचान बनेगी. इससे बच्चे की प्री-प्राइमरी से लेकर उच्च शिक्षा तक की पूरी शैक्षणिक जानकारी एक ही जगह दर्ज रह सकेगी. रिपोर्ट कार्ड, परीक्षा नतीजे, टीकाकरण डेटा, हेल्थ रिकॉर्ड और पोषण संबंधी जानकारी भी इसमें जुड़ती रहेगी. स्कूल बदलने पर नामांकन आसान होगा और ड्रॉपआउट बच्चों को फिर से ट्रैक कर उन्हें वापस पढ़ाई में लाने में मदद मिलेगी. सरकारी योजनाओं का लाभ देना भी सरल हो जाएगा क्योंकि हर बच्चे का डेटा डिजिटल रूप में उपलब्ध रहेगा. आंगनबाड़ी छोड़ने के बाद भी यह आईडी सक्रिय रहेगी और बच्चा इसे जीवनभर इस्तेमाल कर सकेगा.

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