False Rape Case: आजकल बिना शादी के लड़का और लड़की का एक साथ रहना यानी लिव-इन रिलेशनशिप में रहना बहुत आम हो गया है. लोग इसे अपनी निजी आजादी और समझदारी का फैसला मानते हैं. लेकिन कई बार जब यही रिश्ता टूट जाता है. जब ब्रेकअप हो जाता है. कई बार विवाद हो जाता है. तो ब्रेकअप के बाद लड़की की ओर से लड़के पर रेप जैसे गंभीर आरोप लगा दिए.
जबकि दोनों पहले अपनी मरजी से लिव-इन में रह रहे थे. ऐसे हालात में सबसे बड़ा सवाल यही होता है कि अगर आरोप झूठे हों तो लड़का खुद को कैसे बचाए. क्या कानून लिव-इन को समझता है और क्या सहमति से बने रिश्ते को बाद में रेप नहीं माना जा सकता. चलिए आपको बताते हैं झूठे रेप केस से आप कैसे बच सकते हैं.
सहमति थी इस बात का सबूत जरूरी है
लिव-इन में रह रहे हैं तो सबसे पहले यह समझना ज़रूरी है कि लिव-इन रिलेशनशिप को भारत में दो एडल्ट के बीच सहमति वाला रिश्ता माना जाता है. अगर दोनों अपनी मर्जी से साथ रहते हैं. खर्च शेयर करते हैं. एक दूसरे के परिवार को जानते हैं या कहीं ट्रेवल करते हैं. तो यह सब चीजें सहमति का मजबूत आधार बन जाती हैं. ऐसे में अगर लड़का झूठे रेप केस से खुद को बचाना चाहता है.
तो उसे अपने पास उन सबूतों को संभालकर रखना चाहिए जो यह दिखाते हों कि रिश्ता दोनों की मर्जी से चला था. जैसे चैट, फोटो, सोशल मीडिया पोस्ट, कॉल रिकॉर्ड, होटल या फ्लैट से जुड़ी एंट्री, किराया एग्रीमेंट, व्हाट्सऐप मैसेज जहां लड़की ने खुद साथ रहने की बात मानी हो. यह सब बातें अदालत के सामने एक कहानी नहीं. बल्कि फैक्ट बनकर खड़ी होती हैं.
इस तरह से अपना पक्ष रखें
अगर झूठा आरोप लग जाए तो घबराने की बजाय सबसे पहले एक अच्छे वकील से सलाह लेकर एंटीसिपेटरी बेल के लिए आवेदन करें. इससे गिरफ्तारी का खतरा कम होगा. इसके बाद अपनी तरफ से लिखित बयान दें कि रिश्ता सहमति से था. कोशिश करें कि पुलिस को जितने शांत और सटीक तरीके से जानकारी देंगे.
केस उतना मजबूत खड़ा होगा. लड़की द्वारा पहले भेजे गए प्यार भरे चैट, साथ रहने की बातचीत, परिजनों को की गई जानकारी यह सब आपकी मदद कर सकती है. कोर्ट भी कई फैसलों में कह चुका है कि अगर रिश्ता लंबे समय तक सहमति से चला है तो बाद में सिर्फ ब्रेकअप की वजह से उसे रेप नहीं माना जा सकता.
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