Tej Pratap Yadav Janshakti Janta Dal: इस साल के आखिर में बिहार में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. इसी बीच राजनीति में बड़ा उलटफेर देखने को मिला है. आरजेडी से अलग होने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव ने अपनी नई पार्टी का ऐलान कर दिया है. 

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इतना ही नहीं उन्होंने अपनी पार्टी का चुनाव चिन्ह भी लॉन्च कर दिया है. ऐसे में लोगों के मन में यह सवाल उठता है कि आखिर किसी भी राजनीतिक पार्टी को बनने के कितने दिन बाद चुनाव चिन्ह मिल जाता है और इसकी प्रक्रिया क्या होती है. चलिए आपको बताते हैं पूरी जानकारी.

पार्टी बनने के बाद कब मिलता है चुनाव चिन्ह?

भारत में चुनाव चिन्ह देने की प्रक्रिया भारतीय चुनाव आयोग के जरिए होती है. जब कोई नई पार्टी बनती है. तो सबसे पहले उसे चुनाव आयोग में रजिस्ट्रेशन करवाना पड़ता है. यह प्रक्रिया पूरी होने के बाद पार्टी को 'पंजीकृत लेकिन मान्यता प्राप्त नहीं' का दर्जा मिलता है. ऐसे दर्जे वाली पार्टी को चुनाव लड़ने के लिए अस्थायी या फ्री सिंबल दिया जाता है. 

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स्थायी और पहचान बनाने वाला चुनाव चिन्ह तभी मिलता है' जब पार्टी किसी राज्य या राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता हासिल कर लेती है. मान्यता पाने के लिए पार्टी को तय शर्तें पूरी करनी होती हैं. जैसे चुनाव में न्यूनतम वोट शेयर पाना या एक तय संख्या में सीटें जीतना.

चुनाव चिन्ह तय करने की पूरी प्रक्रिया

नई पार्टी के आवेदन के बाद चुनाव आयोग उसकी जांच करता है. रजिस्ट्रेशन होने पर उसे सिंबल अलॉट करता है. अगर पार्टी चाहती है कि उसका चुनाव चिन्ह स्थायी हो. तो इसके लिए उसे प्रस्तावित चिन्हों की सूची चुनाव आयोग को भेजनी पड़ती है. आयोग यह देखता है कि वह चिन्ह किसी अन्य पार्टी से मिलता-जुलता न हो और आम लोगों के लिए आसानी से पहचानने लायक हो. 

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इसके बाद आयोग सिंबल को रिजर्व कर देता है. हालांकि जब तक पार्टी को राज्य या राष्ट्रीय स्तर की मान्यता नहीं मिलती. तब तक उसे रिजर्व सिंबल नहीं मिलता. बल्कि चुनाव में अस्थायी तौर पर फ्री सिंबल दिया जाता है. सामान्य तौर पाॅलिटिकल पार्टी बनने से लेकर स्थायी चुनाव चिन्ह मिलने तक की प्रोसेस में काफी समय लग जाता है.

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