अमेरिकी विदेश विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने साफ कहा है कि कश्मीर भारत और पाकिस्तान के बीच का सीधा मुद्दा है और इसमें अमेरिका को मध्यस्थता करने में कोई दिलचस्पी नहीं है. यह बयान पाकिस्तान के लिए बड़ा झटका है, क्योंकि वह लंबे समय से कश्मीर मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मंच पर घसीटता रहा है.

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पाकिस्तान का हमेशा से प्रयास रहा है कि अमेरिका, संयुक्त राष्ट्र (UN) या ऑर्गनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कोऑपरेशन (OIC) जैसे मंचों से भारत पर दबाव डालने की कोशिश करे, लेकिन ट्रंप प्रशासन का यह रुख भारत के पक्ष में है, क्योंकि भारत हमेशा से इस मुद्दे को द्विपक्षीय मामला मानता आया है. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ गुरुवार (25 सितंबर 2025) को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मिलने के लिए न्यूयॉर्क से वाशिंगटन पहुंचे. जहां पीएम शहबाज के अलावा आर्मी जनरल असीम मुनीर भी मौजूद थे. 

अमेरिका की अमेरिका फर्स्ट नीतिअमेरिकी अधिकारी ने स्पष्ट किया कि वॉशिंगटन भारत और पाकिस्तान को अलग-अलग नजरिए से देखता है और जो अमेरिकी हितों के लिए बेहतर होता है, वही नीति अपनाई जाती है. अमेरिका भारत को एक बड़ा रणनीतिक साझेदार मानता है, खासकर इंडो-पैसिफिक रणनीति और आर्थिक साझेदारी में. अमेरिका का रुख पाकिस्तान के प्रति अक्सर आतंकवाद और सुरक्षा से जुड़ा रहा है. आर्थिक सहायता और सैन्य सहयोग में भी कटौती होती रही है. इस संदर्भ में, कश्मीर को द्विपक्षीय मुद्दा मानना अमेरिका-भारत संबंधों की मजबूती को दर्शाता है.

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ट्रंप प्रशासन और कश्मीर विवाद पर दावेसंयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के दौरान ट्रंप ने दावा किया था कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष रोकने में भूमिका निभाई थी. 7 मई को भारत ने ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया गया था, जिसके बाद 10 मई को युद्धविराम हुआ. ट्रंप ने दावा किया कि यह सीजफायर उनकी मध्यस्थता से संभव हुआ. हालांकि, भारत ने ट्रंप के इन दावों को खारिज करते हुए कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच सभी वार्ताएं सीधे स्तर पर होती हैं और किसी तीसरे पक्ष की जरूरत नहीं है.

भारत की नीति तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप का विरोधभारत लगातार यह कहता आया है कि कश्मीर और आतंकवाद से जुड़े मसले केवल भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय वार्ता से सुलझ सकते हैं. भारत के अनुसार, किसी तीसरे पक्ष की दखलअंदाजी से समाधान नहीं बल्कि और जटिलता बढ़ेगी. यही कारण है कि भारत ने हमेशा अमेरिका सहित किसी भी देश की मध्यस्थता को अस्वीकार किया है.

पाकिस्तान की कूटनीतिक चुनौतीपाकिस्तान के लिए कश्मीर मुद्दा उसकी विदेश नीति का मुख्य हिस्सा रहा है, लेकिन बार-बार अमेरिका और अन्य देशों से निराशाजनक प्रतिक्रिया मिलने से उसकी स्थिति कमजोर हो रही है. अंतरराष्ट्रीय मंच पर कश्मीर का मुद्दा उठाने के बावजूद, उसे वैश्विक समर्थन नहीं मिल रहा. इसके उलट, भारत की मजबूत कूटनीति और अंतरराष्ट्रीय साझेदारियां पाकिस्तान पर दबाव बढ़ा रही हैं.

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