Stamp Paper Rules: वसीयत यानी किसी व्यक्ति की अंतिम इच्छा का कानूनी दस्तावेज. जिसके जरिए वह अपनी संपत्ति का बंटवारा तय करता है. अक्सर लोगों को यह भ्रम होता है कि वसीयत को वैध बनाने के लिए उसे किसी खास स्टाम्प पेपर पर लिखना जरूरी होता है. लेकिन आपको बता दें हकीकत में ऐसा नहीं है.

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भारत में वसीयत का महत्व केवल उसके कानूनी प्रारूप और गवाहों की मौजूदगी पर निर्भर करता है. न कि स्टाम्प की कीमत पर. लेकिन बावजूद इसके कुछ नियम जिनका पालन करना जरूरी है. ताकि वसीयत पर किसी तरह का विवाद न हो. चलिए आपको बताते स्टाम्प पेपर की कीमत और वसीयत को लेकर किन बातों का ध्यान रखना चाहिए.

कितने रुपये के स्टाम्प पेपर पर वसीयत होती है वैध?

भारतीय कानून के अनुसार वसीयत को किसी खास मूल्य के स्टाम्प पेपर पर लिखना जरूरी नहीं है. इसे साधारण सफेद कागज पर भी लिखा जा सकता है और यह पूरी तरह वैध मानी जाएगी. बशर्ते यह साफ और स्पष्ट हो. हालांकि कई लोग इसे 10 रुपये या 50 रुपये के स्टाम्प पेपर पर लिखना पसंद करते हैं.

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ताकि डाक्यूमेंट पूरी तरह ऑथेंटिक हो. आपको बता दें कि वसीयत को वैध बनाने के लिए दो गवाहों की मौजूदगी जरूरी होती है. जो साइन करने के समय मौजूद हों. यह वसीयत के असली होने का सबूत बनता है. नोटरी या रजिस्ट्री करवाना ऑप्शनल है. लेकिन इससे दस्तावेज की कानूनी वैधता बढ़ जाती है.

वसीयत बनाते समय किन बातों का रखें ध्यान?

वसीयत लिखते समय सबसे जरूरी है कि दस्तावेज में संपत्ति से जुड़ी सभी जानकारी स्पष्ट और सही हो. उसमें यह साफ लिखा होना चाहिए कि किसे कितनी संपत्ति दी जा रही है और क्यों. हस्ताक्षर करते समय व्यक्ति पूरी तरह मानसिक रूप से स्वस्थ होना चाहिए. ताकि बाद में कोई कानूनी चुनौती न दी जा सके. वसीयत के दो गवाह जरूरी हैं और बेहतर होगा कि वह परिवार के सदस्य न हों.

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वसीयत को रजिस्टर्ड करवाना अनिवार्य नहीं है. लेकिन अगर रजिस्ट्री हो जाती है तो भविष्य में विवाद की संभावना बहुत कम हो जाती है. अगर कोई चेंज किया गया है तो उसे भी लिखित रूप में जोड़ देना चाहिए. सभी नियमों का पालन करने पर अगर नार्मल कागज पर लिख कर वसीयत बनाई जाए तो पूरी तरह वैध मानी जाती है.

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