Rent Agreement Rules 2025: देश में बड़ी संख्या में लोग किराए के घरों में रहते हैं. चाहे नौकरी की वजह से शहर बदलना हो या पढ़ाई के लिए किसी दूसरे शहर में जाना, किराए पर रहना लाखों लोगों की मजबूरी होती है. खासकर मुंबई, दिल्ली और बड़े शहरों में घर खरीदना कई लोगों के लिए पहुंच से बाहर है. इसलिए किराया ही उनका सहारा बनता है. लेकिन सालों से एक शिकायत लगातार सामने आती रही है कि मकान मालिक अपनी मनमर्जी करते हैं. 

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कभी अचानक किराया बढ़ाना, कभी ज्यादा सिक्योरिटी की मांग, कभी बिना वजह घर खाली करने का दबाव. इसी समस्या को खत्म करने के लिए सरकार ने रेंट एग्रीमेंट नियम 2025 तैयार किया है. इस नियम का मकसद किराएदारों को मजबूत सुरक्षा देना और मकान मालिक की मनमानी पर रोक लगाना है. चलिए आपको बताते हैं पूरी जानकारी.

क्या है रेंट एग्रीमेंट नियम 2025?

सरकार का नया नियम मकान मालिक और किराएदार के बीच बैलेंस बिठाने पर फोकस करता है. अब मकान मालिक किराया बढ़ाने के लिए फिक्स प्रोसेस का पालन करेंगे. वह साल में एक बार ही किराया बढ़ा सकते हैं. वह भी 12 महीने पूरे होने के बाद. इसके लिए 90 दिन पहले लिखित नोटिस देना जरूरी है. जिससे किराएदार को समय मिल सके. घर में किसी तरह की खराबी हो तो उसे ठीक करवाने की जिम्मेदारी मकान मालिक की होगी.

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अगर वह 30 दिन में मरम्मत नहीं करते. तो किराएदार खुद मरम्मत करवा सकता है और खर्च किराए से काट सकता है. इसके अलावा नई व्यवस्था कहती है कि साइन करने के 60 दिन के भीतर डिजिटल स्टैंप और ऑनलाइन रजिस्टर्ड रेंट एग्रीमेंट उपलब्ध कराना जरूरी हैय जिससे बाद में चलकर किसी तरह का विवाद न हो.

नहीं चलेगी मकानमालिक की मनमर्जी

रेंट एग्रीमेंट नियम 2025 के अनुसार मकान मालिक दो महीने से अधिक का सिक्योरिटी डिपॉजिट नहीं ले सकते. वहीं कमर्शियल किराए में यह लिमिट छह महीने तय की गई है. अगर कोई रजिस्ट्रेशन नहीं करवाता. तो राज्यों के हिसाब से पांच हजार रुपये से शुरू होने वाला जुर्माना लग सकता है. किराएदार के कमरे में जाने से पहले मकान मालिक को कम से कम चौबीस घंटे पहले लिखित जानकारी देना जरूरी है. 

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सबसे बड़ी बात यह है कि किराएदार को निकालना अब सिर्फ रेंटर ट्रिब्यूनल के ऑर्डर से ही होगा. अगर कोई मकान मालिक जबरदस्ती निकालने की कोशिश करता है. बिजली पानी काटता है या डराता धमकाता है, तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई होगी. 

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