Railway Rules: भारतीय रेलवे में हर दिन करोड़ों लोग ट्रेन से सफर करते हैं. ट्रेन में चलने के लिए भारतीय रेलवे की ओर से यात्रियों के लिए कई नियम बनाए गए हैं. जो सभी को मानने होते हैं. इसमें सबसे बड़ा नियम टिकट को लेकर है. ट्रेन में बिना टिकट यात्रा करना नियमों का उल्लंघन होता है. ऐसे में जुर्माना देना पड़ जाता है. कोई यात्री टिकट लेकर चल रहा है कि नहीं इसके लिए ट्रेन में टीटीई मौजूद होते हैं.
लेकिन जब कोई रेलवे पुलिस कर्मी टिकट दिखाने को कह दे. तो अक्सर कंफ्यूजन होती है. लोगों के बीच आम धारणा यह बन गई है कि वर्दी में दिखने वाला हर अधिकारी टिकट चेक कर सकता है. क्या वाकई ऐसा हो सकता है? जान लीजिए रेलवे के नियम क्या कहते हैं.
टिकट चेक करने का अधिकार किसके पास होता है?
रेलवे के नियमों के अनुसार ट्रेन और स्टेशन में टिकट चेक करने का अधिकार सिर्फ टिकट चेकिंग स्टाफ को दिया गया है. इसमें ट्रैवलिंग टिकट एग्जामिनर यानी TTE और टिकट चेकिंग स्टाफ यानी TC शामिल होते हैं. यह अधिकारी यात्रियों के टिकट की जांच करते हैं और बिना टिकट या गलत टिकट पर सफर करने वालों से जुर्माना वसूल सकते हैं.
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जुर्माना लेने के बाद रसीद देना भी जरूरी होता है. इनके पास वैलिड पहचान पत्र और आधिकारिक रजिस्टर या डिजिटल डिवाइस होती है. जिससे उनकी पहचान की जा सकती है. अगर कोई अधिकारी खुद को TTE या TC बताता है. तो यात्री को अधिकार है कि वह उसका पहचान पत्र देखने की मांग करे. नियम के तहत टिकट से जुड़ी पूरी कार्रवाई इन्हीं अधिकारियों के दायरे में आती है.
रेलवे पुलिस मांग सकती है टिकट?
यात्रियों की सुरक्षा और ट्रेन की सेफ्टी के लिए रेलवे पुलिस मौजूद होती है. रेलवे पुलिस जिसमें आरपीएफ और जीआरपी शामिल हैं. इनके जवानों, अधिकारियों का मेन काम सुरक्षा व्यवस्था संभालना होता है. स्टेशन और ट्रेन में चोरी, मारपीट, अवैध गतिविधियों पर रोक, महिला सुरक्षा और आपात हालात में मदद देना इनकी जिम्मेदारी है. सामान्य स्थिति में रेलवे पुलिस को टिकट चेक करने या जुर्माना वसूलने का अधिकार नहीं है.
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हालांकि अगर किसी यात्री पर अपराध से जुड़ा संदेह हो या सुरक्षा का मामला हो. तो पहचान के लिए टिकट देखने को कहा जा सकता है. इसे नियमित टिकट चेकिंग नहीं माना जाता. अगर कोई रेलवे पुलिस कर्मी गलत तरीके से जुर्माना मांगता है. तो यात्री रेलवे हेल्पलाइन या वरिष्ठ अधिकारियों से शिकायत कर सकता है.
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