Property Rules: सभी बच्चों को अपने मां-बाप की सेवा करनी चाहिए उनका ख्याल रखना चाहिए. लेकिन आजकल कई परिवारों में देखा जाता है कि बच्चे अपने माता-पिता की देखभाल नहीं करते. कुछ लोग अपनी खुद की जिंदगी और काम में उलझकर बुजुर्गों की जरूरतों को नजरअंदाज कर देते हैं. तो कुछ जानबूझकर मां-बाप से किनारा कर लेते हैं.
जिससे मां-बाप अकेले पड़ जाते है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या ऐसे बच्चों को उनकी संपत्ति से वंचित किया जा सकता है या उन्हें प्रॉपर्टी से बाहर किया जा सकता है. सही जानकारी न होने पर बुजुर्ग कई बार अपने हक खो देते हैं या बच्चों के साथ विवाद में फंस जाते हैं. चलिए आपको बताते हैं इसे लेकर कानून क्या कहता है.
संपत्ति से बेदखल करने को लेकर क्या कानून है?
अगर किसी मां-बाप के बच्चे उनकी देखभाल नहीं करते हैं उन्हें अच्छे से ट्रीट नहीं करते हैं. तो क्या ऐसे में माता-पिता बच्चों को संपत्ति से निकाल सकते हैं. आपको बता दें भारतीय कानून में बच्चों को केवल उनकी गैरजिम्मेदारी के आधार पर संपत्ति से बेदखल करना आसान नहीं है. हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 के मुताबिक बच्चे माता-पिता की संपत्ति के असली वारिस होते हैं.
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चाहे वह देखभाल करें या न करें. केवल बच्चे की गैरजिम्मेदारी के चलते सीधे उनका हिस्सा रोकना आसान नहीं है. लेकिन माता-पिता अपनी संपत्ति को वसीयत यानी विल या ट्रस्ट के जरिए मैनेज कर सकते हैं और भविष्य में विवाद कम कर सकते हैं. लेकिन इसके लिए उन्हें कानूनी सलाह की जरूरत होगी. ताकि बाद में बच्चों के चलते कोर्ट के चक्कर ना काटने पड़ें.
क्या किया जा सकता है इसके लिए?
अगर माता-पिता चाहते हैं कि बच्चों की गैरजिम्मेदारी का असर उनकी संपत्ति पर न पड़े. तो कई ऑप्शन हैं. सबसे आसान तरीका है वसीयत बनाना. जिसमें साफ लिखा जा सकता है कि कौन कितना हिस्सा पाएगा. अगर बच्चों को कुछ नहीं देना है. तो इसका जिक्र वसीयत में किया जा सकता है.
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इसके अलावा, प्राॅपर्टी का मैनेजमेंट ट्रस्ट या लॉ फर्म के जरिए किया जा सकता है. कुछ लोग बच्चों के हिस्से को पाने के लिए सेवा और जिम्मेदारी शर्त बना देते हैं. ताकि जिम्मेदार बच्चे ही लाभ उठाएं. यह ऑप्शन भी कानूनी तौर पर सही है. ऐसे कदम उठाकर बुजुर्ग अपनी संपत्ति और उस पर अपना अधिकार दोनों सुरक्षित कर सकते हैं.
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