जैश-ए-मोहम्मद और हिजबुल मुजाहिद्दीन के बाद संयुक्त राष्ट्र द्वारा आतंकवादी संगठन घोषित लश्कर-ए-तैयबा भी भारतीय सेना के हमलों से बचने के लिए अब पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में नए ठिकाने बना रहा है. आतंकी संगठन पीओके और पंजाब से दूर अब पाकिस्तान के अंदरूनी इलाकों में अपनी जड़े जमाने में लगे हैं ताकि भारत की कार्रवाई से बचा जा सके.
तस्वीरों और वीडियो के अलावा सैटेलाइट तस्वीरों से इस बात की पुष्टि होती है कि लश्कर अफगान सीमा से सिर्फ 47 किलोमीटर दूर, लोअर दीर जिले में, मरकज़ जिहाद-ए-अक्सा नाम का नया अड्डा बना रहा है. इसका निर्माण जुलाई 2025 में, ऑपरेशन सिंदूर के दो महीने बाद शुरू किया गया.
लश्कर-ए-तैयबा का नया ठिकाना
भारतीय खुफिया एजेंसी ने बताया है कि ये 7 मई को भारतीय सेना द्वारा भीमबर-बरनाला स्थित मरकज अहले हदीस को तबाह करने के बाद लश्कर की जान-ए-फ़िदाई, फ़िदायीन यूनिट की जगह काम करेगा.
हैदराबाद बम धमाकों का मास्टरमाइंड करेगा लीड
तस्वीरों से पता चलता है कि यह अड्डा लश्कर-ए-तैयबा की हाल ही में बनी जामिया अहले सुन्नत मस्जिद से सटी 4,600 वर्ग फुट से ज़्यादा ज़मीन पर बना है. एक खुफिया दस्तावेज में कहा गया है कि इस आतंकी अड्डे का नेतृत्व भारत में 2006 के हैदराबाद बम धमाकों के मास्टरमाइंडों में से एक नस्र जावेद करेगा.
तीनों आतंकवादी संगठनों के ठिकानों के बीच कितनी दूरी
रिपोर्ट के मुताबिक मुहम्मद यासीन उर्फ बिलाल भाई को जिहाद में प्रशिक्षण का काम सौंपा गया है, जबकि ऑपरेशनल हथियार प्रशिक्षण की ज़िम्मेदारी अनासुल्लाह खान को सौंपी गई है. सूत्रों ने बताया कि लश्कर-ए-तैयबा मरकज़-ए-खैबर, गढ़ी हबीबुल्लाह और बत्रासी में अपने मौजूदा शिविरों का विस्तार करने की भी योजना बना रहा है. लश्कर-ए-तैयबा, हिज़्ब और जैश-ए-मोहम्मद के नए निर्माणाधीन शिविरों के बीच की दूरी लगभग 4 किमी है.
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