Mumbai Hoarding Collapse: राजधानी दिल्ली के बाद मुंबई में तूफान ने खूब तबाही मचाई है. हवाएं इतनी तेज थीं कि कई बड़ी चीजें सड़कों पर गिर आईं, जिसके चलते 14 लोगों की मौत हो चुकी है. वहीं 50 से ज्यादा लोग घायल बताए जा रहे हैं. घाटकोपर में होर्डिंग गिरने से सबसे ज्यादा लोगों की मौत हुई है, इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल भी हो रहा है. अब सवाल ये है कि ऐसी प्राकृतिक आपदा में अगर किसी की मौत होती है तो इसके लिए किसे जिम्मेदार ठहराया जा सकता है, साथ ही उनके परिवार कैसे मुआवजे की मांग कर सकते हैं. 


तूफान से पेड़ गिरने पर कौन जिम्मेदार?
इसे ऐसे समझ सकते हैं कि अगर तूफान में कोई पेड़ गिर जाता है और इसके नीचे दबने से किसी की मौत हो जाती है तो ये प्राकृतिक आपदा के तहत ही आएगा. यानी इसके लिए किसी को भी जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है. इस तरह की घटनाओं में आमतौर पर मुआवजा भी नहीं मिलता है. जम्मू-कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने हाल ही में एक ऐसा ही फैसला सुनाया था, जिसमें कहा गया कि पेड़ गिरने से महिला की मौत एक्ट ऑफ नेचर है. इसके लिए राज्य सरकार कोई मुआवजा देने के लिए बाध्य नहीं है.


होर्डिंग गिरने से मौत पर मिल सकता है मुआवजा?
अब अगर मुंबई जैसी घटना होती है और कोई बड़ा होर्डिंग लोगों के ऊपर गिर जाता है तो इस केस में नगर निगम या फिर होर्डिंग लगाने वाली संस्था के खिलाफ मुकदमा किया जा सकता है. अगर कोर्ट में ये साबित कर दिया जाए कि होर्डिंग गलत तरीके से लगाया गया था या फिर कमजोर था तो ऐसे में मुआवजा भी मिल सकता है. साथ ही ऐसे मामलों में राज्य सरकारों की तरफ से भी मुआवजे का ऐलान कर दिया जाता है. 


आमतौर पर भूकंप और बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं में नुकसान की भरपाई के लिए सरकार फंड जारी करती है. इसमें जान गंवाने वाले लोगों के परिवार को मुआवजा दिया जाता है. हालांकि तूफान और बिजली गिरने जैसी घटनाओं में ऐसा कम ही देखने को मिलता है. 


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