बारिश का सीजन है इन दिनों आपको सड़कों पर जगह-जगह जलभराव, कीचड़ और फिसलन देखने को जरूर मिलता होगा. कभी-कभी इस वजह से कारों के नुकसान का खतरा भी बढ़ जाता है. इंजन में पानी घुसने से लेकर जंग लगने तक, मानसून आपकी गाड़ी के लिए कई चुनौतियां लाता है. तो इस मौसम में अपनी कार को खराब होने से कैसे बचाएं और इंश्योरेंस में कौन सा राइडर जरूरी है चलिए इसके बारे में जान लेते हैं. बारिश में अपनाएं कुछ जरूरी टिप्स बारिश में कार को खराब होने से बचाने के आप कुछ जरूरी टिप्स आप अपना सकते हैं. जैसे बारिश में सड़कें फिसलन भरी हो जाती हैं, इसलिए टायरों की ग्रिप अच्छी होनी चाहिए. अगर टायर घिसे हुए हैं, तो तुरंत बदलवाएं.  फिसलन से बचने के लिए धीमी गति से ड्राइव करें और अचानक ब्रेक लगाने से बचें. बारिश में बेहतर विजन के लिए विंडशील्ड वाइपर का ठीक होना जरूरी है. अगर वाइपर ब्लेड पुराने या खराब हैं, तो उन्हें बदलवाएं. गहरे पानी में गाड़ी चलाने से बचें, खासकर अगर पानी पहियों के आधे हिस्से से ऊपर हो.  बारिश में कार की बॉडी पर जंग लगने का खतरा रहता है ऐसे में कार को नियमित रूप से धोएं और सूखे कपड़े से पोछें. 

अब बात करते हैं राइडर कीबारिश में कार को नुकसान होने पर इंश्योरेंस आपका सबसे बड़ा सहारा हो सकता है, लेकिन इसके लिए सही पॉलिसी और राइडर लेना जरूरी है. कार इंश्योरेंस में राइडर एक तरह का अतिरिक्त कवर या ऐड-ऑन होता है, जिसे आप अपनी मौजूदा इंश्योरेंस पॉलिसी में जोड़ सकते हैं. यह आपकी स्टैंडर्ड पॉलिसी को और मजबूत करता है और उन खास नुकसानों को कवर करता है, जो सामान्य इंश्योरेंस में शामिल नहीं होते.

बारिश में कौन सा राइडर है बेस्ट

इंजन प्रोटेक्शन राइडर बारिश में कार के लिए सबसे जरूरी है. अगर आपकी कार पानी में डूब जाती है या इंजन में पानी घुसने से हाइड्रोलॉक हो जाता है, तो इंजन प्रोटेक्शन राइडर मरम्मत का खर्च कवर करता है.  सामान्य थर्ड-पार्टी इंश्योरेंस या स्टैंडर्ड कॉम्प्रिहेंसिव पॉलिसी में इंजन डैमेज कवर नहीं होता. इसलिए, कॉम्प्रिहेंसिव इंश्योरेंस के साथ इस राइडर को जरूर लें. इसके अलावा डेप्रिसिएशन कवर में राइडर मरम्मत के दौरान पूरी लागत कवर करता है, बिना डेप्रिसिएशन घटाए. यह बारिश से हुए स्क्रैच या अन्य नुकसान के लिए उपयोगी है. एक्सेसरी प्रोटेक्शन कवर में कार के म्यूजिक सिस्टम, एसी या अन्य अतिरिक्त फिटिंग्स के नुकसान को कवर करता है. इसे भी पढ़ें- कितने तेज भूकंप पर आती है सुनामी, कैसे लगता है इसका पता?