कितने तेज भूकंप पर आती है सुनामी, कैसे लगता है इसका पता?
भूकंप के बाद सुनामी का खतरा उन देशों में ज्यादा होता है, जो कि समुद्र के किनार बसे हुए होते हैं, जैसे कि जापान, पेरू, इंडोनेशिया, फिलीपींस आदि.
जब इन देशों में बड़े मैग्नीट्यूड के भूकंप आते हैं, तब समुद्र तल के पास होने की वजह से भूकंप के झटकों का असर समुद्र तल पर भी पड़ता है. इससे समुद्र तल पर हलचल उत्पन्न होती है.
भूकंप की वजह से समुद्र तल पर अचानक तेजी से परिवर्तन होता है, इसलिए सुनामी का खतरा और बढ़ जाता है. जब भी भूकंप समुद्र के नीचे के तटीय क्षेत्रों में आता है तो यह तल को ऊपर-नीचे की ओर धक्का देता है.
भूकंप की वजह से टेक्टॉनिक प्लेट्स आपस में टकराती हैं, जिससे कि हलचल पैदा होती है. भूकंप के दौरान पैदा हुई अथाह ऊर्चा समुद्र में पानी की लहरों के रूप में ट्रांसफर हो जाती है, इससे सुनामी आती है.
ये लहरें नॉर्मल समुद्री लहरों के मुकाबले बहुत ऊंची होती हैं और तेज स्पीड में तटों की ओर बढ़ती हैं, इसीलिए तटीय क्षेत्रों में विनाशकारी प्रभाव हो सकते हैं.
NOAA की मानें तो 6.5 तीव्रता से कम का भूकंप आया है तो सुनामी का खतरा बहुत कम होता है, लेकिन अगर भूकंप की तीव्रता बढ़ती है तो खतरे में बढ़ोतरी होती जाती है.
जैसे ही भूकंप की तीव्रता 7.5 से बढ़कर 7.8 के बीच में पहुंचती है तो सुनामी का डर बना रहता है. वहीं 7.6 से 7.8 तीव्रता के भूकंप से ऊंची-ऊंची लहरें उत्पन्न हो सकती हैं. 7.8 से ज्यादा का भूकंप आने पर स्थानीय रूप से सुनामी देखने को मिल सकती है और नुकसान भारी होता है.