जिंदगी बड़ी अनिश्चितताओं से भरी है. कब किसे क्या हो जाए कब कौन सी बीमारी घेर ले. कुछ कहा नहीं जा सकता. और जब बीमारी आती है. तो इलाज के खर्चे कई बार इतने भारी होते हैं कि सालों की सेविंग मिनटों में खत्म हो जाती है. इसी वजह से ज़्यादातर लोग हेल्थ इंश्योरेंस लेकर चलते हैं. ताकि मेडिकल इमरजेंसी में फाइनेंशियल बैकअप बना रहे. लेकिन पिछले कुछ समय से देखा जाए तो हर साल प्रीमियम के दाम तेज़ी से बढ़ रहे हैं. ऐसे में सवाल यह है कि क्या किया जाए. कैसे हेल्थ इंश्योरेंस की प्लानिंग की जाए ताकि न तो हेल्थ कवर से समझौता हो और न ही ज्यादा पैसे देने पड़े. इसलिए आपको बताते हैं इस बारे में पूरी जानकारी.
हेल्थ इंश्योरेंस में इन बातों पर दें ध्यान
हेल्थ इंश्योरेंस के बढ़ते प्रीमियम रेट्स को देखते हुए आज के वक्त में पहले से ही प्लानिंग करके चलना जरूरी हो गया है. हेल्थ इंश्योरेंस के सालाना प्रीमियम के खर्च को अगर आप फाइनेंशियल प्लानिंग में शामिल करते हैं. तो यह बोझ नहीं बनता. इसके लिए आप हर साल थोड़ी-सी रकम मेडिकल इमरजेंसी फंड में अलग से रखना शुरू कर दें. तो इसके साथ ही अपना हेल्थ इंश्योरेंस रिव्यू करते रहें.
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कहीं आप जरूरत से ज्यादा प्रीमियम तो नहीं भर रहे हैं. या उन चीजों का कवर तो नहीं लिया. जिनकी जरूरत आपको है भी नहीं. आप टॉप-अप प्लान या सुपर टॉप-अप जैसे ऑप्शन भी देख सकते हैं. जो कम प्रीमियम में आपको ज्यादा कवरेज दे सकते हैं. इन तरीकों से आप हर साल प्रीमियम की बढ़त से परेशान हुए बिना अपना काम चला सकते हैं.
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कंपेयर करना बहुत जरूरी
हेल्थ इंश्योरेंस लेने से पहले उसे कंपेयर करना ज़रूरी है. हर पॉलिसी एक जैसी नहीं होती. किसी में प्रीमियम कम होता है लेकिन कवरेज कम. तो किसी में हॉस्पिटल नेटवर्क अच्छा होता है. लेकिन क्लेम प्रोसेस धीमा. अगर बिना कंपेयर किए कोई भी पॉलिसी ले ली. तो ज़रूरत पड़ने पर परेशानी हो सकती है.
आप अलग-अलग कंपनियों की पॉलिसी को एक साथ देखकर कंपेयर कर सकते हैं. प्रीमियम, कवरेज, क्लेम सेटलमेंट रेशियो और यूज़र रिव्यू जैसी जानकारी चेककर आप अपने लिए सही पाॅलिसी चुन सकते हैं. इससे न सिर्फ आपके पैसे बचते हैं. बल्कि आगे चलकर परेशानी भी नहीं होती.
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