Who Are D Voters: भारत में इन दिनों लोकसभा 2024 के चुनाव चल रहे हैं. यह चुनाव कल 7 चरणों में पूरे होने हैं. जिनमें तीन चरण पूरे हो चुके हैं. तीसरा चरण कल यानी 7 मई को पूरा हुआ. चुनाव का चौथा चरण 13 मई को होना है. उसमें 10 राज्यों की कुल 96 सीटों पर वोट डाले जाएंगे. 


एक और जहां चुनाव को लेकर लोगों में काफी उत्साह है. वहीं दूसरी ओर भारत में कुछ ऐसे वोटर भी रहते हैं. जो इन चुनावों में वोट नहीं डाल पाएंगे. इन वोटर्स को डी वोटर कहा जाता है. कौन होते हैं यह डी वोटर. और क्यों इन्हें प्राप्त नहीं है चुनाव में वोट डालने का हक. चलिए जानते हैं. 


कौन होते हैं  डी वोटर्स? 


भारत में चल रहे 18वीं लोकसभा के मतदान में कल 97 करोड़ यानी करीब एक अरब के आसपास रजिस्टर्ड वोटर्स है. तो वहीं कुछ ऐसे वोटर भी मौजूद है. जिन्हें मतदान करने का हक नहीं है. भारत के नॉर्थ ईस्ट में बसे असम राज्य में एक अलग ही कैटेगरी के वोटर रहते हैं.


इन वोटर्स डी वोटर्स के नाम से जाना जाता है. यानी डाउटफुल वोटर्स कहा जाता है. असम में इन डाउटफुल वोटर्स की कुल संख्या 1 लाख से भी ज्यादा बताई जाती है. इन वोटरों की नागरिकता सवालों के घेरे में. इसीलिए इन्हें अब तक मतदान करने का हक नहीं मिल पाया है.  


कैसे आईडेंटिफाई होते हैं डी वोटर्स ?


भारत का साम्राज्य बांग्लादेश के साथ सटा हुआ है. ऐसे में बांग्लादेश से असम में बहुत से लोग गैरकानूनी रूप से भारत में माइग्रेट करके आए हैं. 1980 के दशक में असम में कई संगठनों द्वारा अवैध तरीके से  माइग्रेशन के खिलाफ प्रदर्शन किया जा रहे थे.  प्रदर्शन कर रहे हैं संगठन द्वारा यह मांग थी कि लोगों के पास उचित दस्तावेज नहीं है. उन्हें आईडेंटिफाई करके वापस से उनके देश भेजा याए.इनमें बहुत से हिंदू वोटर की संख्या भी है. 


अब भारत में लागू हो चुका है. ऐसे में इन हिंदू वोटर को नागरिकता मिलने के अनुमान ज्यादा है. 1997 में भारतीय चुनाव आयोग में भारत में रह रहे हैं विदेशी नागरिक  आईडेंटिफाई करने के लिए योजना चलाई थी और इसी योजना के तहत भारतीय सरकार ने इस प्रकार के वोटर्स  की पहचान की और उनके नाम के आगे डी लगा दिया. साल 1997 में इनकी संख्या 3.3 लाख थी. तो वहीं 2024 में यह घटकर 97 हजार हो गई है.  


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