Old Pension Scheme Rule: अगले महीने पांच राज्यों में चुनाव होने हैं. मध्यप्रदेश भी उनमें से एक है, जहां विधानसभा चुनाव होने जा रहा है. सभी पार्टियां अपने हिसाब से वादे कर रही हैं. कांग्रेस ने सरकार में आने के बाद ओल्ड पेंशन स्कीम लागू करने का संकल्प लिया है. इन सब खबरों के बीच मध्यप्रदेश सरकार ने 5 आईएएस को ओल्ड पेंशन स्कीम की मंजूरी दे दी है. इस आदेश के बाद से यह खबर तेजी से फैलने लगी है कि क्या बीजेपी भी वहां ओल्ड पेंशन स्कीम लागू कर सकती है. आज की स्टोरी में हम जानेंगे कि क्या राज्य सरकार के पास इसे लागू करने का अधिकार होता है. 


क्या राज्य सरकार के पास है अधिकार?


5 राज्यों में ओल्ड पेंशन स्कीम लागू की जा चुकी है, जिसमें पंजाब, छतीसगढ़, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और झारखंड है. बता दें कि राज्य सरकार के कर्मचारियों के लिए लगभग निर्णय में केंद्र की भागिदारी नहीं होती है. अगर कोई नियम बन जाए तो वो अलग बात है. रही बात ओल्ड पेंशन स्कीम की तो अगर राज्य सरकार इसे लागू करती है तो उसका भुगतान राज्य सरकार के खजाने से किया जाता है. उसमें केंद्र कोई मदद नहीं करता है. 


ओपीएस और एनपीएस क्या हैं?


ओपीएस में रिटायर होने पर कर्मचारियों को उनके आखिरी सैलरी का 50% और महंगाई भत्ता या सेवा के अंतिम दस महीनों में उनकी औसत कमाई, जो भी उनके लिए अधिक हो दिया जाता है. इसके लिए 10 साल तक सर्विस पीरियड होना अनिवार्य है. ओपीएस के तहत कर्मचारियों को अपनी पेंशन में योगदान करने की आवश्यकता नहीं होती है. सरकारी नौकरी लेने के लिए एक रिटायर होने के बाद पेंशन और पारिवारिक पेंशन की गारंटी थी, जो नए वाले में नहीं मिलती है. 


इस एनपीएस में सरकार द्वारा नियोजित लोग अपने मूल वेतन का 10% एनपीएस में योगदान करते हैं, जबकि उनके नियोक्ता यानी सरकारी खजाने से 14% तक योगदान किया जाता है. निजी क्षेत्र के कर्मचारी भी स्वेच्छा से एनपीएस में भाग ले सकते हैं.


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