दुनियाभर में कोरोना को मात देने के लिए कई तरह के तरीके इस्तेमाल किए जा रहे हैं. जर्मनी के एक वेटरनरी क्लीनिक ने स्निफर डॉग्स को व्यक्ति की लार के सैंपल से कोरोना वायरस का पता लगाने के लिए ट्रेंड किया है और दावा किया है कि वायरस का पता लगाने की कुत्तों की एक्यूरेसी 94 फीसदी है.


जर्मनी की ऑर्म्ड फोर्सेस स्कूल फॉर सर्विस डॉग्स के एस्थर शल्के ने कहा कि इन कुत्तों को संक्रमित लोगों में कोशिकाओं से आने वाले "कोरोना गंध" को सूंघने के लिए करने के लिए ट्रेंड किया जाता है. हैनोवर के यूनिवर्सिटी ऑफ वेटरनिरी साइंस में 3 साल के बेल्जियन शेफर्ड फिलौ और एक साल के कॉकर स्पेनियल जो कॉकर इसकी ट्रैनिंग दी गई.


संक्रमित और बिना संक्रमण वाले लोगों की पहचान करने में सक्षम
वेटरनिरी क्लीनिक के हैड होल्गर वोल्क ने कहा "हमने एक स्टडी जिसमें हमारे पास कोविड पॉजिटिव मरीजों के सैंपल को सूंघने वाले कुत्ते थे और हम कह सकते हैं कि हमारी स्टडी में 94 फीसदी संभावना पाई गई है कि वे इसका सूंघ कर पता लगा सकते हैं." उन्होंने कहा कि कुत्ते वास्तव में संक्रमित और बिना संक्रमण वाले लोगों का सूंघकर पता लगा सकते हैं.


एयरपोर्ट पर संक्रमण का पता लगाने लिए हो रहा कुत्तों का इस्तेमाल
हैनोवर में स्निफर डॉग का इस्तेमाल कंसर्ट में भाग लेने वाले लोगों के फिजिबिलिटी टेस्ट के लिए भी किया गया. वहीं, फिनलैंड में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर पिछले साल सितंबर में हेलसिंकी, वैंता हवाई अड्डे पर यात्रियों में कोरोना वायरस का पता लगाने के लिए ट्रेंड कुत्तों का इस्तेमाल शुरू किया था. चिली के सैंटियागो अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर कैनाइन डिटेक्टरों का इस्तेमाल किया जा रहा है.


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