Trending News: फैशन के इस दौर में हर कोई अपने पहनावे का खयाल रखता है. हर कोई चाहता है कि वो अच्छे से अच्छे कपड़े पहने. इसमें जूते-चप्पल भी आते हैं. वैसे जूते-चप्पल दिनचर्या की जरूरत भी हैं. इनके बिना एक कदम भी चलना मुश्किल है. अगर आपसे कहा जाए कि क्या आप हमेशा बिना जूते-चप्पल के रह सकते हैं? ज्यादातर लोगों का जवाब होगा- 'नहीं', क्योंकि नंगे पैर घूमना सुरक्षित नहीं है. पैर में कांटा या कंकड़ लगने का डर रहता है. साथ ही नंगे पैर घूमने से खतरनाक बैक्टीरिया भी शरीर में प्रवेश कर सकते हैं. नंगे पैर आपने लोगों को सिर्फ नवरात्रो में व्रत रखते वक्त ही देखा होगा. लेकिन भारत देश में एक गांव ऐसा भी है, जहां के लोग नंगे पांव ही रहते हैं और नंगे पांव ही घूमना पसंद करते हैं.


वीआईपी को भी नहीं है जूते पहनकर आने की इजाजत


भारत के इस गांव का नाम वेमना इंदलू, तिरुपति से 50 किलोमीटर की दूरी पर बसे इस गांव में 25 परिवार के करीब 80 लोग रहते हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस गांव में यह परंपरा शुरुआत से ही चलती आ रही है. गांव का नियम है कि अगर कोई बाहर से आता है तो बिना नहाए गांव में प्रवेश नहीं कर सकता है. इसके अलावा अगर कोई जिला मजिस्ट्रेट, कोई सांसद, विधायक या फिर सरकारी अफसर अगर गांव में आता है तो उसे भी अपने जूते चप्पल उतारकर ही गांव में आने दिया जाता है. रिपोर्ट के मुताबिक, गांव के ज्यादातर लोग अशिक्षित हैं और खेती पर निर्भर हैं. ग्रामवासी किसी अधिकारी से अधिक अपने देवता और सरपंच की बात मानते हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ये पलवेकरी समुदाय के लोग हैं. जो अपनी पहचान एक पिछड़े वर्ग दोरावारलू के तौर पर कराते हैं.


कभी अस्पताल नहीं जाते


सबसे हैरानी वाली बात यह है कि यहां का कोई बाशिंदा कभी भी अस्पताल नहीं जाता है. इन लोगों का मानना है कि जिस ईश्वर की वो पूजा करते हैं, वो उनकी रक्षा करेंगे. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सभी लोग गांव में ही बने एक मंदिर में पूजा करते हैं. बीमार होने पर लोग गांव में ही उगे हुए एक नीम के पेड़ की परिक्रमा करते हैं, उनका मानना है कि इस पेड़ की परिक्रमा करने से उनके सभी रोग दूर हो जाते हैं.


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