नई दिल्ली: गूगल अब स्टैंडअलोन ऑग्मेंटेड रियलिटी (AR) हेडसेट पर काम कर रहा है जिसका कोड नेम 'Google A65' है. आपको बता दें कि इस रिपोर्ट का खुलासा जर्मन न्यूज साइट विनफ्यूचर द्वारा किया गया है. गूगल ताइवानी कंपनी क्वांटा के साथ मिलकर एआर हेडसेट पर काम कर रही है. रिपोर्ट के अनुसार ये वही कंपनी है जो पिक्सल सी टैबलेट पर भी काम कर चुकी है जिसे 2015 में लॉन्च किया गया था. शुक्रवार को विनफ्यूचर ने इन सभी चीजों का अपने रिपोर्ट में खुलासा किया.


हेडसेट में कैमरा सेंसर्स के साथ माइक्रोफोन्स होंगे जिससे यूजर्स गूगल असिस्टेंट का इस्तेमाल आसानी से कर पाएंगे.


AR और VR में क्या है फर्क?


ऑग्मेंटेड रिएलटी वर्चुअल और रिअल वर्ल्ड का मिश्रण है. इसमें आप वर्चुअल और रिएलटी दोनों लोगों से बात कर सकते हैं. इसका इस्तेमाल आप अपने स्मार्टफोन को अपने आंखों के सामने लगाकर कर सकते हैं. एआर को हम एप्स में इस्तेमाल करते हैं तो वहीं फोन के कैमरे की मदद से बाहरी दुनिया को अपने सामने देखते हैं. एआर को लगाते ही हमारे स्क्रीन पर कई तरह की जानकारियां आने लगती है जैसे की टेक्स्ट, इमेज और कोई ऐसी जानकारी जिसके बारे में आप न जानते हों लेकिन स्क्रीन पर देखते ही उसके बारे में आपको पता चल जाता है.


एआर एप की मदद से आप मशीन, रियल इस्टेट, रेस्टोरेंट और कई ऐसी चीजों के बारे में जानकारी पा सकते हैं जिसके बारे में आपको पहले पता नहीं था. ये सब कुछ एक लेअर एप की मदद से होता है.


वर्चुअल रिएलटी


वीआर में हमें रियल और वर्चुल दुनिया को अलग करने में थोड़ी दिक्कत होती है. वीआर को आप हेल्मेट और गोगल की मदद से इस्तेमाल कर सकते हैं. वर्चुअल रिएलटी को कंप्यूटर टेक्नॉल्जी की मदद से एक ऐसा वातावरण बनाया जाता है जहां रिएलटी के अलावा सबकुछ कंप्यूटराइजड होता है. विआर में आप जो भी देख रहे होते हैं सबकुछ रिएलटी से अलग होता है. वर्चुअल रिएलटी में आर्टिफिशियल और एनिमेटेड सीन होते हैं जो फोटोग्राफ्ड या वर्चुअल रिएलटी एप की मदद से बनाए जाते हैं. वर्चुअल रिएलटी में देखते समय ऐसा लगता है मानों आप भी उसके साथ जा रहे हैं. वर्चुअल रिएलटी में आप उन जगहों पर भी जा सकते हैं जहां आप नहीं गए हैं जैसे माउंट एवरेस्ट, न्यूयॉर्क, दूसरे ग्रह या अन्य चीजें. ये सबकुछ आपके फोन में पहले से मौजूद वीडियो के कारण मुमकिन है. फोन को वीआर सेट में डालते ही आप वर्चुअल रिएलटी की दुनिया में पहुंच जाते हैं.






हेडसेट के फीचर और स्पेसिफिकेशन


हेडसेट में कस्टम क्वाड कोर आईओटी दिया गया है जिसे हम इंटरनेट ऑफ थिंग्स के नाम से भी जानते हैं. ये चीज क्वॉलक QSC603 पर फोकस करती है. जो 2,560 x 1,440 रिजॉल्यूशन को स्पोर्ट करता है. हेडसेट में वीडियो के लिए 1080p और 1030p दिए गए हैं तो वहीं 3 डी ओवरलेज़, रेंडरिंग इंटरफेस, ब्लूटूथ 5.1, जीपीएस और एंड्रॉयड न्यूट्रल नेटवर्क्स अपलिकेशन प्रोग्राम इंटरफेस की भी सुविधा दी गई है.


आपको बता दें कि गूगल ग्लास के नाम से कंपनी पहले ही एआर हेडसेट का निर्माण कर चुकी है. गूगल ग्लास को 2013 में लॉन्च किया जा चुका है.


होलोलेंस की तरह गूगल ए 65 में भी कई तरह की सामानताएं होंगी. वहीं ऑपरेशन स्टाइल में भी एडवांस RISC मशीन पॉवर डिजाइन और क्वॉलकम चीपसेट का इस्तेमाल किया गया है.


विनफ्यूचर के रिपोर्ट के अनुसार अभी तक गूगल ए 65 के लॉन्च को लेकर कोई खुलासा नहीं हुआ है.