Gorakhpur News: पूर्वांचल में तेजी से विकास की ओर अग्रसर शहरों में शुमार गोरखपुर को मेट्रो लाइट रेल प्रोजेक्ट के फेज-1 को मंजूरी मिल गई है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यह जानकारी दी है. उन्होंने इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद भी दिया है. पब्लिक इन्वेस्टमेंट बोर्ड (पीआईबी) की बैठक में गोरखपुर मेट्रोलाइट रेल प्रोजेक्ट के फेज-1 को अप्रूवल मिला है.
गोरखपुर में पिछले कई सालों से मेट्रो बढ़ाने के लिए तमाम औपचारिकताओं को पूरा किया जा रहा था. लेकिन मेट्रो की आबादी के हिसाब से शहर के विकसित नहीं होने की वजह से कई बार डीपीआर जाने के बावजूद अंडरग्राउंड मेट्रो के प्रोजेक्ट को मंजूरी नहीं मिल सकी. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लगातार गोरखपुर में मेट्रो चलाने के प्रयास में जुटे हुए थे लेकिन आबादी कम होने की वजह से मेट्रोपॉलिटन सिटी घोषित ना हो पाने से यह रास्ता भी साफ नहीं हो रहा था. यही वजह से गोरखपुर को मेट्रोपॉलिटन सिटी बनाने और लाइट मेट्रो चलाने में कम आबादी की बाधा सरकार ने दूर कर दी. पिपराइच नगर पालिका और गोरखपुर से सटे 4 विकासखंड को गोरखपुर नगर निगम में शामिल कर प्रस्ताव को कैबिनेट बाई सर्कुलेशन के माध्यम से मंजूरी दे दी गई. इससे शहर में 4589 करोड़ रुपए की लागत से मेट्रो चलाने का रास्ता साफ हो गया है. राइट्स और लखनऊ रेल मेट्रो कारपोरेशन ने उसकी डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट का अनुमोदन पहले शासन को भेज दिया था. गोरखपुर में लाइट मेट्रो चलाने के लिए भी शहर का मेट्रोपॉलिटन सिटी घोषित होना जरूरी होता है.
डीपीआर के अनुसार शहर में 4589 करोड़ रुपए की लागत से तीन बोगियों वाली मेट्रो दौड़ेगी. पहला रूट 15.14 किलोमीटर का होगा. जो श्याम नगर बरगदवा से मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय तक होगा. इस रूट पर कुल 14 स्टेशन होंगे. दूसरे रूट पर गुलरिया से शुरू होकर बीआरडी मेडिकल कॉलेज, असुरन चौक, धर्मशाला, गोलघर, कचहरी चौराहा होते हुए नौसर तक जाएगा. यह 12.70 किलोमीटर लंबा रूट है जिस पर 12 स्टेशन होंगे. लाइट मेट्रो की खासियत है कि यह अंडर ग्राउंड नहीं चलेगी. यह मेट्रो सड़क के समतल ही चलेगी. इसकी एक बोगी में 100 लोगों के बैठने की क्षमता होगी.
लाइट मेट्रो में तीन से चार कोच होते हैं
इसका स्टेशन भी बस स्टैंड की तरह होगा. लाइट मेट्रो में तीन से चार कोच होते हैं. एक कोच में 100 यात्री सफर करते हैं और सड़क पर ही चलती है. जहां पर जगह नहीं होती है वहां एलिवेटेड रुट तैयार किया जाता है. इसके स्टेशन भी छोटे होते हैं. लाइट मेट्रो प्रोजेक्ट में काफी समानता मेट्रो की तरह है, लेकिन इसमें सारी सुविधाएं मेट्रो की तरह नहीं होती हैं. लाइट मेट्रो लाइन के ट्रैक के किनारे फेंसिंग लगाए जाते हैं. भीड़भाड़ वाले इलाकों में ओवरहेड रूट तैयार किया जाता है. ट्रेन की लंबाई के एक तिहाई हिस्से में प्लेटफार्म पर शेड लगेगा. इसमें एक्सरे स्कैनर, ऑटोमेटिक एयर कलेक्शन गेट, कनकोर्स जैसी सुविधाएं नहीं होंगी. एलिवेटेड रूट पर ओवरहेड स्टेशन बनते हैं. इसमें एक ही एंट्री और एग्जिट गेट होता है. लाइट मेट्रो में सफर के दौरान नियम तोड़ने पर आम मेट्रो से ज्यादा जुर्माना लगता है. पूर्वांचल लगातार विकास के पथ पर अग्रसर है. पूर्वांचल एक्सप्रेसवे के बाद अब लाइट मेट्रो गोरखपुर और पूर्वी यूपी को विकास के पथ पर एक कदम और आगे ले जाएगा.
यह भी पढ़ें-