यूं तो अब बॅालीवुड के प्रिंस चार्मिंग शशि कपूर अब इस दुनिया से अलविदा कह चुके हैं, लेकिन उनके लिए लोगों के दिलों में एक खास जगह हमेशा कायम रहेगी। अपने भाईयों में सबसे लाडले रहे हैं शशि कपूर। आपको जानकर हैरानी होगी की एक वक्त था जब सत्तर के दशक में शशि कपूर लगभग 150 फिल्मों के कॉन्ट्रेक्ट में थे।



साल 1961 में 'धर्मपुत्र' से बॉलीवुड में एंट्री करने वाले शशि कपूर 70 और 80 के दशक में एक बड़े अभिनेता बनकर उभरे थे। इस दौरान वे एक दिन में चार से पांच शिफ्ट करते थे। एक दिन में वे तीन-चार मूवीज के लिए काम करते थे। इसके लिए वो अलग-अलग मूवी की शूटिंग लोकेशन पर जाते थे। ऐसे में उनसे मिलना मुश्किल था। सूत्रों के अनुसार उनके बड़े भाई राजकपूर ने उन्हें 'टैक्सी' कहना शुरू कर दिया था। ये उस दौर की बात है, जब शशि कपूर सत्यम शिवम सुंदरम की शूटिंग कर रहे थे।



राज कपूर सत्यम शिवम सुंदरम शुरू करना चाहते थे, लेकिन इसके लिए शशि बड़े भाई को डेट्स नहीं दे पा रहे थे, जिससे नाराज राज कपूर ने उन्हें टैक्सी का खिताब देते हुए था कि,- शशि एक ऐसी टैक्सी है, जिसे जब बुलाओ आ तो जाता है, लेकिन मीटर हमेशा डाउन रहता है। कपूर खानदान से ताल्लुक रखने के कारण ऐसा माना जा सकता है कि शशि कपूर का फिल्मों में आगमन काफी आसानी से हुआ होगा, लेकिन ऐसा है नहीं।



शशि कपूर का असली नाम बलबीर कपूर था। शशि ने नौ साल की उम्र में बतौर बाल कलाकार फिल्म  'आग' (1948)  से बॉलीवुड में डेब्यू किया था। इन्हें साल 2011 में भारत सरकार ने पद्मभूषण से सम्मानित किया था। इसके बाद साल 2015 में उन्हें दादासाहेब फालके अवार्ड से नवाजा गया था। पृथ्वीराज कपूर और राजकपूर के बाद कपूर खानदान के तीसरे अभिनेता था, जिन्हें दादा साहेब फालके अवार्ड दिया गया था।