Varanasi News: काशी को परंपराओं का शहर कहा जाता है. यहां मनाए जाने वाले अनेक उत्सव और त्योहार देश-दुनिया को हैरान करने वाले भी होते हैं. इसी क्रम में दुनिया की सबसे प्राचीन नगरी काशी में चैत्र नवरात्र की सप्तमी तिथि को एक अनोखी परंपरा का निर्वहन किया गया. जिसमें महाश्मशान मणिकर्णिका घाट पर धधकती चिताओं के बीच नगरवधुओं ने नृत्य किया. इस दौरान वाराणसी और आसपास के जनपद से परिजन अपने करीबियों के दाह संस्कार में पहुंचे थे.


इसके पीछे मान्यता यह है कि काशी का यह प्राचीन घाट बेहद पवित्र माना जाता है और यहां पर मृतक व्यक्ति का दाह संस्कार होने से उसे जीवन मरण के चक्र से मुक्ति मिलती है. ठीक उसी प्रकार काशी के प्राचीन मान्यताओं से जुड़े जानकार लोगों की माने तो चैत्र नवरात्र के सप्तमी के दिन नगरवधूएं  यहां पर इसलिए नृत्य करती हैं क्योंकि उनके मन में बाबा मसाननाथ के प्रति गहरी आस्था होती है और इस कार्य से उन्हें हमेशा के लिए मुक्ति मिलती है. 


घाट पर नगर वधुओं ने किया नृत्य
काशी के बारे में कहा जाता है कि सात वार नौ त्योहार और उसके पीछे सैकड़ो वर्ष प्राचीन परंपरा जुड़ी होती है. दरअसल चैत्र नवरात्र के सप्तमी के दिन जहां एक तरफ काशी के महाशमशान मणिकर्णिका घाट पर चिताएं धधकती है. वहीं दूसरी तरफ बाबा मसान नाथ के पारंपरिक श्रृंगार विधि विधान से पूजन किया जाता है. इसके अलावा घाट पर ही नगर वधुएं नृत्य करती हैं. इस दौरान इस दृश्य को देखने के लिए भी हजारों की संख्या में लोग उमड़ते हैं. साथ ही अपने परिजनों के दाह  संस्कार में आए लोग भी इसका साक्षी बनते हैं. 


परंपरा को देखने के लिए घाट पर उमड़ी भीड़
वाराणसी के मणिकर्णिका घाट पर इस परंपरा को देखने के लिए शाम के बाद से ही लोग इकट्ठा होने लगते है. खासतौर पर स्थानीय घाट के निवासियों की यहां पर मौजूदगी देखी जाती है. साथ ही इस दौरान पुलिस प्रशासन द्वारा सुरक्षा के भी इंतजाम किए जाते है. कल देर रात तक चली इस अनोखी परंपरा को भी देखने के लिए हजारों की संख्या में लोग उमड़े थे. सबसे पहले मणिकर्णिका घाट स्थित बाबा मसान नाथ का पारंपरिक रूप में श्रृंगार और पूजन किया गया. उसके बाद नगरवधूओं ने देर रात तक गमगीन माहौल में ही नृत्य करते हुए प्राचीन परंपरा का निर्वहन किया.


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