Uttarkashi Tunnel News: उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में निर्माणाधीन सिलक्यारा सुरंग में 11 दिनों से फंसे 41 श्रमिकों को बचाने के कार्य में बृहस्पतिवार को फिर से अवरोध पैदा हुआ क्योंकि जिस प्लेटफॉर्म पर ड्रिलिंग मशीन टिकी हुई है, उसमें दरारें दिखने के बाद ड्रिलिंग रोक दी गई.


बुधवार देर रात ऑगर मशीन के रास्ते में आए लोहे के गर्डर को काटने में छह घंटे की देरी के बाद दिन में ऑपरेशन फिर से शुरू होने के कुछ घंटे पश्चात अवरोध पैदा हुआ.


तीसरी बार ड्रिलिंग कार्य रोका
उत्तराखंड के चार धाम मार्ग में निर्माणाधीन सुरंग का एक हिस्सा ढह जाने के बाद 12 नवंबर को विभिन्न एजेंसियों द्वारा बचाव अभियान शुरू होने के बाद से यह तीसरी बार है कि ड्रिलिंग कार्य रोका गया है.


एक अधिकारी के अनुसार जिस प्लेटफॉर्म पर 25 टन की ड्रिलिंग मशीन लगी हुई है, उसे ‘‘स्थिर’’ करने के लिए बृहस्पतिवार को ड्रिलिंग रोक दी गई. संरचना में कुछ दरारें दिखाई दीं, लेकिन इसकी कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई.


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दोपहर में, दिल्ली में एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि दोपहर 1.10 बजे मामूली कंपन देखा गया. इसमें कहा गया कि जिस तेजी से मशीन काम कर रही थी, उसका फिर से आकलन किया जा रहा है. बयान में कहा गया कि ऑपरेशन फिर से शुरू होगा.



इस अवरोध से पहले, अधिकारी ड्रिलिंग के दौरान कोई और बाधा उत्पन्न नहीं होने पर बृहस्पतिवार रात के दौरान ऑपरेशन समाप्त होने की संभावना देख रहे थे क्योंकि यह 10 से 12 मीटर के अंतिम खंड में प्रवेश कर गया था.


'इसमें और भी बाधाएं आ सकती हैं'
दिल्ली में, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) के सदस्य लेफ्टिनेंट जनरल सैयद अता हसनैन ने कहा, ‘‘मुझे उम्मीद है कि अगले कुछ घंटों में या कल तक हम इस ऑपरेशन में सफल हो जाएंगे.’’ हालांकि, उन्होंने आशंका जताई कि इसमें और भी बाधाएं आ सकती हैं.


मौके पर मौजूद प्रधानमंत्री कार्यालय के पूर्व सलाहकार भास्कर खुल्बे ने बताया कि मलबे में अमेरिकी ऑगर मशीन से की जा रही ड्रिलिंग के दौरान लोहे का सरिया आ गया था. हालांकि, उन्होंने कहा कि उसे गैस कटर के माध्यम से काट दिया गया है.


सुबह 10 बजे, उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि श्रमिकों को निकालने में राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) को ड्रिलिंग में 12 से 14 घंटे और उसके बाद लगभग तीन घंटे लगेंगे.


बचाव कार्यों में समन्वय के लिए उत्तराखंड सरकार की ओर से नोडल अधिकारी बनाए गए सचिव नीरज खैरवाल ने दोपहर दो बजे के करीब संवाददाता सम्मेलन में बताया कि मलबे में 45 मीटर से आगे बढ़ने के दौरान बुधवार रात आए अवरोध के बाद 1.8 मीटर पाइप और अंदर चला गया है. एक अन्य अधिकारी ने कहा कि 48 मीटर तक ड्रिलिंग हो चुकी है.


अधिकारियों ने बताया कि एक बार पाइप मलबे के दूसरी ओर पहुंच जाए तो एनडीआरएफ के जवान उसमें जाकर श्रमिकों को एक-एक कर बाहर लाएंगे जिसके लिए पूर्वाभ्यास कर लिया गया है. श्रमिकों को पहिए लगे कम ऊंचाई के स्ट्रेचर पर लिटाकर रस्सियों की सहायता से बाहर लाया जाएगा.


श्रमिकों को ऑक्सीजन, भोजन, पानी, दवाइयां तथा अन्य सामान सोमवार को डाली गयी पाइपलाइन के जरिए लगातार भेजा जा रहा है.


मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी सिलक्यारा पहुंचे
केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग राज्य मंत्री वी के सिंह और एनडीआरएफ के महानिदेशक अतुल करवाल बचाव प्रयास की समीक्षा के लिए बृहस्पतिवार को सिलक्यारा में थे. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी सिलक्यारा पहुंचे.


सुरंग में स्थापित ‘ऑडियो कम्युनिकेशन सेटअप’ के माध्यम से धामी ने श्रमिकों से बातचीत करते हुए उन्हें बताया कि राहत एवं बचाव कार्य युद्ध स्तर पर चल रहा है और बचावकर्मी उनके बहुत नजदीक पहुंच चुके हैं. धामी ने कहा, ‘‘हम करीब 45 मीटर (मलबे के जरिए) से आगे आ चुके हैं. पूरा देश आपके साथ खड़ा है. आप सभी लोग हौसला बनाएं रखें.’’


मुख्यमंत्री ने दो श्रमिकों-गब्बर सिंह नेगी और सबा अहमद से श्रमिकों के बारे में पूछा और सबका मनोबल बनाए रखने के लिए उन दोनों की सराहना की. धामी ने बचाव अभियान में दिन-रात जुटे श्रमिकों से भी बात कर उनकी पीठ थपथपाई.


सिलक्यारा छोर से ड्रिलिंग और 800 मिमी चौड़े पाइप को डालने के काम को पहली बार शुक्रवार दोपहर को रोक दिया गया था जब ऑगर मशीन को 22 मीटर के दूरी के आसपास एक बाधा का सामना करना पड़ा, जिससे सुरंग में कंपन पैदा हुआ जिससे सुरक्षा संबंधी चिंताएं पैदा हुईं.


ड्रिलिंग मंगलवार आधी रात के आसपास फिर से शुरू हुई लेकिन अगली रात दूसरा झटका लगा.


आपदा स्थल पर मौजूद, अंतरराष्ट्रीय सुरंग विशेषज्ञ अर्नोल्ड डिक्स ने बताया कि मलबे के रास्ते ड्रिलिंग करने वाली ऑगर मशीन में फिर से कुछ समस्याएं आ रही हैं.


उन्होंने मौजूदा समस्या के बारे में विस्तार से नहीं बताया और उन्होंने यह भी स्पष्ट नहीं किया कि मशीन में समस्या से बचाव अभियान में कितनी देरी होगी.


'सुरंग में फंसे हुए मजदूर सुरक्षित और स्वस्थ'
उन्होंने कहा, ''सुरंग में फंसे हुए मजदूर सुरक्षित और स्वस्थ हैं, ऐसे में जल्दबाजी नहीं करना बहुत आवश्यक है. अगर हम इस तरह की स्थिति में जल्दबाजी करते हैं तो ऐसी चुनौतियां पैदा हो सकती हैं जिनकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते.''


जब श्रमिक बाहर आएंगे, तो उन्हें 'ग्रीन कॉरिडोर' के माध्यम से पुलिस एस्कॉर्ट के तहत एम्बुलेंस में उत्तरकाशी जिले के चिन्यालीसौड़ में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में स्थापित 41-बेड वाले विशेष वार्ड में ले जाया जाएगा.


अगर जरूरत पड़ी तो उन्हें अन्य चिकित्सा केंद्रों में स्थानांतरित किया जाएगा. एनडीआरएफ के महानिदेशक ने बताया कि सुरंग में फंसे श्रमिक ठीक है. उन्होंने कहा, ‘‘सुरंग में काम करने वाले लोग मानसिक रूप से दृढ़ होते हैं और इन लोगों को यह भी पता है कि उन्हें बाहर निकालने के लिए जबरदस्त प्रयास किए जा रहे हैं तो वे आशान्वित हैं.’’