Allahabad High Court: महिला सिपाही के जेंडर चेंज यानी लिंग परिवर्तन की मांग पर सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सरकार को एक महीने की मोहलत दी. हाईकोर्ट ने आदेश दिया कि सरकार एक महीने में सेक्स रिएसाइनमेंट सर्जरी के नियम बनाए. जस्टिस अजीत कुमार की सिंगल बेंच गोंडा में तैनात महिला कॉन्स्टेबल नेहा सिंह चौहान की याचिका पर सुनवाई कर रही थी. अदालत को बताया गया कि डीजीपी ने महिला कॉन्स्टेबल नेहा की सेक्स चेंज की मांग को शर्तों के साथ मंजूरी दी है. महिला सिपाही जेंडर चेंज कराने के लिए स्वतंत्र है लेकिन पुरुषों की कैटेगरी में नए सिरे से टेस्ट देना होगा.


महिला सिपाही कराना चाहती है लिंग परिवर्तन


हाईकोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता डीजीपी के आदेश को चुनौती दे सकती है. आदेश को चुनौती देने के लिए एक महीने में संशोधन अर्जी दाखिल करनी होगी. सुनवाई के बाद अदालत ने 5 जनवरी की तारीख दे दी. राज्य सरकार के अनुपालन हलफनामा में बताया गया कि याचिकाकर्ता की सेक्स चेंज वाली अर्जी निरस्त कर दी गई है. हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता की तरफ से पेश अधिवक्ता को संशोधन अर्जी दाखिल कर डीजीपी के आदेश को चुनौती देने की अनुमति दे दी.


इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका पर हुई सुनवाई


महिला कॉन्स्टेबल नेहा सिंह ने याचिका दाखिल कर लिंग परिवर्तन की अनुमति मांगी है. हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए कहा था कि लिंग पहचान को गरिमा का अभिन्न अंग माना गया है. अदालत ने कहा था कि उत्तर प्रदेश में रिएसाइनमेंट सर्जरी का नियम नहीं होने पर राज्य को केंद्रीय कानून के मुताबिक फैसला लेना चाहिए. 18 अगस्त की सुनवाई में डीजीपी को नेहा सिंह की याचिका पर फैसला लेने का आदेश दिया था. डीजीपी की तरफ से अदालत को बताया कि महिला सिपाही नेहा सिंह की मांग को खारिज कर दिया गया है. 


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