Uttarakhand Tunnel Accident Rescue Update: उत्तरकाशी जिले की सिलक्यारा सुरंग में 15 दिनों से फंसे 41 मजदूरों को निकालने का प्रयास जारी है. इंतजार लंबा होने के बावजूद मजदूरों ने साहस का परिचय दिया. बात होने पर चिंतित परिजनों को हिम्मत बंधाते हैं. रेस्क्यू टीम तमाम चुनौतियों को पार कर ऑपरेशन अंजाम देने में जुटी है. जानिए 12 नवंबर से अब तक क्या-क्या हुआ. प्रधानमंत्री कार्यालय भी पल-पल का अपडेट ले रहा है. विदेश से बुलाए गए मशीन और विशेषज्ञों को मौके पर तैनात किया गया है.


12 नवंबर 


उत्तरकाशी में  दिवाली के दिन सुबह करीब 5.30 बजे निर्माणाधीन सिल्क्यारा सुरंग का एक हिस्सा ढह जाने से मजदूर फंस गए. मजदूरों के फंसे होने की जानकारी आने पर जिला प्रशासन ने मौके पर रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया. सुरंग में मजदूरों तक एयर-कंप्रेस्ड पाइप से ऑक्सीजन, बिजली और रसद पहुंचाने की व्यवस्था की गई. एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, बीआरओ, चारधाम परियोजना से जुड़ी एजेंसी एनएचआईडीसीएल और आईटीबीपी समेत कई एजेंसियां बचाव प्रयासों में शामिल हुईं. लेकिन कोई एक्शन प्लान काम नहीं आया.


13 नवंबर


ऑक्सीजन की आपूर्ति करने वाले पाइप के जरिए मजदूरों से संपर्क किया गया. मजदूरों के सुरक्षित होने की जानकारी सुरंग से बाहर आई. मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने मौके पर पहुंचकर मुआयना किया. इस बीच, सुरंग पर ऊपर से मलबा गिरता रहा. जिसके कारण मलबा लगभग 60 मीटर तक फैल जाता है. रेस्क्यू में लगी टीम का ऑपरेशन और भी कठिन हो जाता है.


14 नवंबर


मौके पर स्टील पाइपों को मंगाया गया. फंसे हुए मजदूरों को भोजन, पानी, ऑक्सीजन, बिजली और दवाओं की आपूर्ति होती रही. कुछ मजदूरों ने सिरदर्द और अन्य बीमारी की शिकायत की.


15 नवंबर


पहली ड्रिलिंग मशीन से रेस्क्यू टीम को सफलता नहीं मिली. एनएचआईडीसीएल ने ड्रिल करने के लिए एक अत्याधुनिक अमेरिकी निर्मित ऑगर मशीन की मांग की. 


16 नवंबर


ड्रिलिंग मशीन को असेंबल और प्लेटफॉर्म पर लगाया गया. इस मशीन ने आधी रात के बाद काम करना शुरू कर दिया. 


17 नवंबर


मशीन की मदद से रात भर ऑपरेशन चलता रहा. दोपहर तक करीब 24 मीटर मलबे की ड्रिलिंग पूरी हुई. सुरंग में चार एमएम के पाइप डाले गए. पांचवां पाइप डालने के दौरान पत्थर आ गया. अड़चन आने की वजह से रेस्क्यू ऑपरेशन को रोकना पड़ा. इंदौर से एक और ऑगर मशीन एयरलिफ्ट की गई. एनएचआईडीसीएल ने बताया कि सुरंग में एक बड़ी दरार आई है. इसलिए विशेषज्ञ की रिपोर्ट के आधार पर ऑपरेशन तुरंत रोका गया. 


18 नवंबर


मलबे की ड्रिलिंग शुरू नहीं की गई. विशेषज्ञों का कहना था कि सुरंग में अमेरिकी ऑगर मशीन से उत्पन्न कंपन के कारण ज्यादा मलबा गिर सकता है, जिससे बचाव कर्मी भी मुश्किल में आ सकते हैं. पीएमओ के अधिकारियों और विशेषज्ञों की एक टीम वैकल्पिक मोड पर आई. सुरंग के ऊपरी हिस्से से होरिजेंटल ड्रिलिंग समेत एक साथ पांच प्लान पर काम करने का निर्णय लिया. 


19 नवंबर


ड्रिलिंग का काम बंद रहा. बचाव अभियान की समीक्षा के लिए केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी पहुंचे. उन्होंने कहा, विशाल ऑगर मशीन के साथ होरिजेंटल बोरिंग करना सबसे अच्छा विकल्प प्रतीत होता है. ढाई दिन के भीतर सफलता मिलने की उम्मीद है. 


20 नवंबर


पीएम नरेंद्र मोदी ने मुख्यमंत्री धामी से फोन पर रेस्क्यू ऑपरेशन का अपडेट लिया. बचावकर्मी मलबे के बीच छह इंच चौड़ी पाइपलाइन बिछाते हैं. पाइपलाइन की वजह से अंदर फंसे मजदूरों को भोजन और अन्य जरूरी सामान पहुंचाने में मदद मिली. हालांकि, तब तक होरिजेंटल ड्रिलिंग फिर से शुरू नहीं की गई थी. विदेश से टनलिंग एक्सपर्ट को बुलाया गया. 


21 नवंबर


बचावकर्मियों ने सुबह अंदर फंसे मजदूरों का पहला वीडियो जारी किया. मजदूरों को बात करते देखा गया. चिंतित परिजनों ने राहत की सांस ली. सुरंग के बालकोट-छोर पर विस्फोट किए जाते हैं. जिससे एक और सुरंग खोदने की प्रक्रिया शुरू होती है. एनएचआईडीसीएल ने सिल्कयारा छोर से होरिजेंटल बोरिंग ऑपरेशन दोबारा शुरू किया. 


22 नवंबर


स्टील पाइपों की होरिजेंटल ड्रिलिंग करीब 45 मीटर तक पहुंचती है. सिर्फ 12 मीटर की दूरी बाकी रह जाती है. देर शाम ड्रिलिंग में उस समय बाधा आती है जब कुछ लोहे की छड़ें बरमा मशीन के रास्ते में आ जाती हैं.  


23 नवंबर


लोहे की छड़ों के कारण ड्रिलिंग में देरी हुई. सुबह हटाने के बाद बचाव कार्य फिर से शुरू कर दिया गया. जिस प्लेटफॉर्म पर ड्रिलिंग मशीन टिकी हुई है, उसमें दरारें दिखाई देने के बाद बोरिंग को फिर से रोकना पड़ा. 


24 नवंबर


ऑगर मशीन का शाफ्ट और ब्लेड क्षतिग्रस्त होकर बन रही रेस्क्यू टनल में फंस गए. 


25 नवंबर


बीएसएनएल ने फंसे हुए श्रमिकों को परिवार के सदस्यों से संपर्क करने की व्यवस्था की. लैंडलाइन फोन कनेक्शन लगाया गया. 


26 नवंबर


ऑगर मशीन के क्षतिग्रस्त हिस्से को बाहर निकालने के लिए आवश्यक प्लाज्मा कटर सुरंग दुर्घटना स्थल पर पहुंच गया. वर्टिकल टनल ड्रिलिंग का निर्माण शुरू हो गया है. 


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