Uttarakhand Assembly: उत्तराखंड विधानसभा का शीतकालीन सत्र 5 दिन के बजाय सिर्फ 2 दिन में ही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया, जिसे लेकर राजनीति शुरू हो गई है. विपक्ष के विधायकों ने सरकार पर सत्र न चलाने का आरोप लगाया है. विपक्ष के मुताबिक वो कई अहम मुद्दे सदन में उठाने जा रहे थे, जिससे सरकार को ये लग रहा था कि उनकी बदनामी होगी, इसलिए सरकार ने दो दिन में ही सत्र खत्म कर दिया.

 

विपक्ष ने उठाए सरकार की मंशा पर सवाल

दूसरी तरफ विधानसभा अध्यक्ष रितु खंडूरी के बयान पर भी राजनीति तेज हो गई है. जिसमें उन्होंने कहा था कि सरकार के पास जितना बिजनेस है उसी के आधार पर सत्र चलाया जाता है. सरकार के पास बिजनेस नहीं था इसलिए सत्र 2 दिन में ही सत्र समाप्त किया गया है. रितु खंडूरी ने ये भी कहा कि सत्र चलाने के लिए पैसा खर्च होता है इसलिए फिजूल खर्च से नहीं किया जाएगा. विधानसभा अध्यक्ष के इस बयान पर भी विपक्ष के विधायकों ने कहा कि रितु खंडूरी की बात सही है कि सरकार के पास बिजनेस नहीं था और सरकार सत्र भी चलाना नहीं चाह रही थी.

 

यमुनोत्री से निर्दलीय विधायक संजय डोभाल ने कहा कि सत्र की अवधि लंबी होनी चाहिए ताकि दूरदराज से आए तमाम विधायक अपनी विधानसभा क्षेत्र की समस्याओं को उठाएं लेकिन सरकार ने सिर्फ दो दिन में ही सत्र को खत्म कर दिया. संजय डोभाल ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष विधायकों की संरक्षक हैं और उनकी पीड़ा को ठीक प्रकार से समझती हैं. 

 

बीजेपी विधायक ने भी कही ये बात

एक तरफ जहां सत्र जल्दी खत्म किए जाने को लेकर विपक्ष में नाराजगी देखने को मिल रही है तो वहीं दूसरी तरफ भाजपा के विधायक भी यही बात कह रहे हैं. बीजेपी विधायक महेश जीना भी मानते हैं कि सत्र 2 दिन में खत्म नहीं होना चाहिए था. अगर सत्र की अवधि थोड़ी ज्यादा होती तो अन्य विधायकों को भी अपने विधानसभा क्षेत्र की समस्याओं को उठाने का मौका मिल जाता. उन्होंने कहा कि सत्र में उनके विधानसभा क्षेत्र की समस्या तो उठी लेकिन सत्र की अवधि थोड़ी ज्यादा होनी चाहिए थी. 

 

बीजेपी के विधायक खजान दास ने इस मामले पर सफाई देते हुए कहा कि विधानसभा अध्यक्ष, सरकार और नेता प्रतिपक्ष द्वारा बिजनेस तय किया जाता है और सत्र की अवधि भी तय की जाती है ऐसे में सरकार को और विधानसभा अध्यक्ष को जितना उचित लगा उतना सत्र चला है. उन्होंने कहा कि सत्र के भीतर सभी मुद्दे प्रमुखता से उठाए गए हैं.