Varanasi News: उत्तर प्रदेश का वाराणसी शहर अपने आप में खुद इतिहास है, इस शहर को इतिहास से भी पुराना शहर कहा जाता है. इसे काशी और बनारस के नाम से भी जानते हैं. यह शहर धार्मिक, सांस्कृतिक, शिक्षा, व्यावसायिक, पर्यटन चिकित्सा के लिए आज पहचाना जाता है. धर्म शास्त्रों में भी इस शहर के बारे में अनेक कथाएं हैं. देश सहित दुनिया भर में वाराणसी ही एक ऐसा शहर है जिसके कई नाम है. वाराणसी को काशी बनारस के अलावा आनंद कानन के नाम से भी जाना जाता है. हालांकि आम बोलचाल में सबसे ज्यादा लोग वाराणसी, बनारस का प्रयोग करते हैं लेकिन आनंद कानन नाम के पीछे भी पौराणिक महत्व है .
जानकार बताते हैं कि आजादी के बाद से वाराणसी नाम को आधिकारिक रूप से स्वीकृति मिली जिसका तात्पर्य दो नदियों वरुणा और अस्सी के मिलन व उसके मध्य बसे एक शहर से है. इसीलिए इस शहर को वाराणसी नाम दिया गया. वहीं इस शहर में एक ज्योतिर्लिंग के साथ साथ भगवान शंकर से जुड़ी अनगिनत विरासत हैं. इस शहर को ही भगवान भोलेनाथ की नगरी कहा जाता है जो निरंतर प्रकाशवान और अलौकिक प्रतीत होती है. इसलिए इसे काशी कहा जाता है. आम बोल चाल और साहित्यिक - व्यापारिक भाषा में इसे बनारस के नाम से भी पहचाना जाता है जो सबसे ज्यादा लोगों की जुबान पर होता है.
इसके अलावा इस शहर का उल्लेख आनंद कानन के नाम से भी है, जो भद्रवन, हरिकेश, अशोक वन, दारूक वन, महावन जैसे 7 वन से मिलकर खुद भगवान शंकर ने बनाया है. धर्म शास्त्रों के अनुसार खासतौर पर इस शहर का अधिक महत्व है जिसके अनुसार खुद भगवान शंकर ने माता पार्वती जी के लिए इस नगर को बसाया था.
काशी को लोगों ने मोक्ष नगरी के रूप में भी स्वीकाराबदलते दौर के साथ आज भी इस शहर में अनेक ऐसे स्थल हैं जो इस शहर को दुनिया के बाकी जगह से बिल्कुल अलग साबित करते हैं. मृत्यु शोक का पर्याय होता है, लेकिन काशी एक ऐसी नगरी है जहां पर मृत्यु का शोक नहीं होता. ऐसी मान्यता है कि यहां के दो प्राचीन महाशमशान घाट मणिकर्णिका और राजा हरिश्चंद्र घाट पर जिनका अंतिम संस्कार होता है, उन्हें सीधा मोक्ष की प्राप्ति होती है. इसीलिए अनेक लोग तो अपने जीवन के अंतिम क्षण में यहां मृत्यु की प्रतिक्षा लिए आकर निवास करने लगते हैं. इसीलिए इस शहर को मोक्ष नगरी के नाम से भी जाना जाता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार यहां मृत्यु होने वाले जीव को मोक्ष की प्राप्ती होती है.
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