Maha Kumbh 2025: द्वारका शारदा पीठम मठ के शंकराचार्य स्वामी सदानंद सरस्वती ने सनातन बोर्ड का गठन किए जाने का समर्थन किया है. उन्होंने कहा कि हमारे मंदिर शासन के अधीन हैं. अब हमें अपने मंदिरों में राजनीति हस्तक्षेप नहीं चाहिए. इस दौरान स्वामी सदानंद सरस्वती ने महाकुंभ की तारीफ की और कहा कि अगर किसी को हमारे सनातन की एकता देखनी है तो उन्हें महाकुंभ में आकर देखना चाहिए. 


द्वारका शारदा मठ के शंकराचार्य ने कहा कि महाकुंभ में शामिल होने पर कहा कि हम यहां धर्म की रक्षा के लिए हैं. सभी का मुख्य उद्देश्य धर्म का प्रचार-प्रसार है ताकि हमारी आने वाली पीढ़ी हमारे धर्म के बारे में अधिक समझ सके. आप देख रहे हैं भारत की एकता तो कुंभ में देख लीजिए. करोड़ों लोग एक ही घाट पर स्नान कर रहे हैं. अनेकता में एकता ऐसे ही सिद्ध की जा सकती है. व्यक्तिगत जीवन में, वर्ण व्यवस्था में अनेकता दिखाई पड़ेगी लेकिन हम सनातनी होने से सभी एक हैं. 


सनातन बोर्ड की मांग का किया समर्थन
विपक्षी दलों को लेकर शंकराचार्य ने कहा कि उनका काम जो है वो कर रहे हैं, हमारा काम ये है तो हम ये कर रहे हैं. जब वो अपने दलों के अधिवेशन पर करोड़ों खर्च करते हैं तो कुछ नहीं होता है. ये सब मूर्खता पूर्ण बाते कर रहे हैं. शंकराचार्य ने इस दौरान सनातन बोर्ड की मांग को भी जोर-शोर से उठाया और कहा कि हमें अपने मंदिर वापस चाहिए. 


स्वामी सदानंद सरस्वती ने कहा कि हमारे मंदिरों की व्यवस्था शासनाधीन है. उसमें राजनीतिक हस्तक्षेप न हो इसलिए तो सनातन बोर्ड का निर्माण हो रहा है. हमें मंदिर वापस चाहिए, जब मस्जिद की व्यवस्था शासन के अधीन नहीं, गिरिजाघर की व्यवस्था शासन के अधीन नहीं, गुरुद्वारे की व्यवस्था शासन के अधीन नहीं तो हमारे तिरुपति बालाजी, बद्रीनाथ जी, द्वारिकाधीश  शासन के अधीन क्यों हैं? इसलिए तो सनातन बोर्ड का निर्माण हो रहा है. 


उन्होंने कहा कि वक्फ का उल्लेख न तो कुरान में होता है और न ही संविधान में हैं. ये कहां से आ गया..ये कहां का शब्द है?


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