UP News: कानपुर (Kanpur) का ग्रीन पार्क स्टेडियम (Green Park) लाखों की हेराफेरी के खेल को लेकर चर्चा में है. कानपुर के अश्वनी शुक्ल की RTI से जो मामला सामने आया है, उसमें लीज की पूरी रकम नहीं जमा करने को लेकर कई गंभीर आरोप लगाए जा रहे हैं. वहीं प्रदेश के खेल विभाग के पास ग्रीनपार्क में हुए क्रिकेट मैचों की जानकारी ही नहीं है. इस संदर्भ में जब अश्वनी शुक्ल ने आरटीआई से जानकारी चाही तो उनको जवाब ही नहीं दिया गया. जिस पर उन्होंने सूचना आयुक्त से शिकायत की. जिस पर फटकार के बाद खेल विभाग के उपक्रीड़ा अधिकारी अमित पाल ने कहा है कि यूपीसीए से जानकारी लेकर बतायेगे कि 2015 से अब तक कुल कितने मैच हुए हैं.


क्या है पूरा मामला?
दरअसल, खेल विभाग ने कानपुर ग्रीनपार्क को यूपीसीए को 33 वर्षो के लिए लीज पर दिया है. जानकारी के मुताबिक 2015 से यूपीसीए को प्रति वर्ष एक करोड़ रूपये साल के पहले महीने यानि जनवरी 15 तक जमा करना होता है. इस पूरे मामले में जिलाधिकारी से शिकायत के बाद जांच कमेटी गठित की गई हैं.


MOU के मुताबिक हर पांचवें वर्ष में लीज की रकम को 25 प्रतिशत बढ़ाया जायेगा. इस हिसाब से वर्ष 2020 से यूपीसीए को खेल विभाग में अगले चार वर्षो तक एक करोड़ 25 लाख रूपये जमा करने होते हैं. लेकिन यूपीसीए ने वर्ष 2022 से सवा करोड़ रूपये लीज के दिये हैं. यानि की वर्ष 2020 और 2021 में प्रति वर्ष 25 लाख रूपये कम खेल विभाग को भुगतान किया गया. लीज की रकम को कम जमा करने या देर से जमा करने पर जुर्माने का भी प्रावधान रखा गया है.


बड़े भ्रष्टाचार का खुसाला
यूपीसीए ने खेल विभाग को 2015 में 41 लाख 66 हजार 667 रुपए की धनराशि ही अनुबंध पत्र के साथ जमा करवाई थी. जबकि अप्रैल महीने से हुये लीज एग्रीमेंट के मुताबिक यह रकम करीबन 83 लाख होती है. यूपीसीए ने इस रकम को अक्टूबर के माह में खेल विभाग को दी है. इस पर अप्रैल से अक्टूबर तक पेनल्टी भी बनती है. यूपीसीए ने साल 2016 से लेकर 2021 तक खेल विभाग को लगातार एक करोड की धनराशि जमा करवायी है. जबकि यूपीसीए 2020 में रकम को वृद्धि के साथ एक करोड़ 25 लाख जमा करनी चाहिये थी. RTI आवेदक ने इसमें बड़े भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है.


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कितना होगा जुर्माना
जानकारी के मुताबिक खेल विभाग और यूपीसीए के बीच हुए एमओयू में किराए की राशि में विलंब होने पर पांच हजार रुपए प्रतिदिन के हिसाब का जुर्माना का प्रावधान है. साल 2020 और 2021 में यूपीसीए ने केवल एक करोड़ रुपए का ही भुगतान किया है. इस हिसाब से 50 लाख रूपये तो किराये की रकम बनती है. अब यदि खेल विभाग वर्ष 2015, 2020 और 2021 के कम किराये पर जुर्माना लगता है तो रकम के एक करोड़ से ज्यादा होने की बात सामने आ रही है. जानकारी के मुताबिक जुर्माना राशि वसूलने का काम किया गया तो लगभग 40 लाख रुपए से अधिक की धनराशि निकलेगी.


जांच के आदेश
इस संदर्भ में जब यूपीसीए के अधिकारियों से संपर्क साधने की कोशिश की तो किसी ने भी इस बाबत बात नहीं की. यूपी क्रिकेट एसोसिएशन पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे हैं. उनके शिकायती पत्र का संज्ञान लेते हुए डीएम विशाख जी अय्यर ने सीडीओ को जांच कराकर आख्या देने के लिए कहा है. सीडीओ ने जांच के लिए डीपीआरओ कमल किशोर और जिला विद्यालय निरीक्षक की कमेटी बनाई है.


कमेटी अब एसोसिएशन के सीईओ से आरोपों पर जवाब मांगेगी और शिकायतकर्ता के बयान दर्ज करेगी. शिकायतकर्ता अश्विनी कुमार ने जनसूचना अधिकार अधिनियम के तहत कुछ सूचनाएं मांगी थीं. सूचनाओं के आधार पर ही उन्होंने एसोसिएशन पर एमओयू का उल्लंघन करने और भ्रष्टाचार करने का आरोप लगाया है.


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