गंभीर आपराधिक आरोपों में घिरे प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्रियों और मंत्रियों को हटाने संबंधी विधेयक पर समाजवादी पार्टी के राज्यसभा सांसद रामगोपाल यादव ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है. सांसद ने दावा किया है कि यह सत्ता से हटाने का नया तरीका है. उन्होंने कहा कि अगर किसी पर कोई आरोप न भी हो, तो भी आरोप लगाए जा सकते हैं और इस सरकार में लगाए भी जा रहे हैं. लोगों को झूठे और गंभीर आरोपों में जेल में डाला जा रहा है. जिन राज्यों में भाजपा के मुख्यमंत्री या मंत्री नहीं हैं, उन्हें सत्ता से हटाने का एक और तरीका इस सरकार द्वारा लाया जा रहा है. लोकतांत्रिक मानदंड अब बचे ही नहीं हैं. जो लोग यह विधेयक ला रहे हैं, उन्हें एक बात समझ नहीं आ रही है - एक बार सत्ता से बाहर जाने के बाद, वे वापस नहीं आएंगे. उनके अपने ही लोगों ने उनका विरोध करना शुरू कर दिया है.'

इस विधेयक पर कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी ने कहा कि 'कांग्रेस भ्रष्टाचार के खिलाफ है, लेकिन जब से भाजपा सत्ता में आई है, भ्रष्टाचार की परिभाषा बदल गई है। चाहे चुनाव आयोग हो, ईडी हो, या सीबीआई हो, इनका खूब दुरुपयोग होता है, और इसीलिए इनकी दोषसिद्धि दर 90% से ज़्यादा है. विधेयक आने दीजिए, हम इसे समझेंगे, और समझने के बाद ही हम इस पर कार्रवाई और प्रतिक्रिया करेंगे.'

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विधेयक में क्या है?

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह इस विधेयक को संसद की एक संयुक्त समिति को भेजने के लिए लोकसभा में एक प्रस्ताव भी पेश करेंगे.  संविधान (130वां संशोधन) विधेयक, 2025 के उद्देश्यों के अनुसार, संविधान के तहत गंभीर आपराधिक आरोपों में गिरफ्तार और हिरासत में लिये गए मंत्री को हटाने का कोई प्रावधान नहीं है, इसलिए ऐसे मामलों में प्रधानमंत्री या केंद्रीय मंत्रिपरिषद के किसी मंत्री तथा राज्यों एवं राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के मुख्यमंत्री या मंत्रिपरिषद के किसी मंत्री को हटाने के लिए कानूनी ढांचा प्रदान करने के मकसद से संविधान के अनुच्छेद 75, 164 और 239एए में संशोधन की आवश्यकता है. विधेयक का उद्देश्य उपरोक्त उद्देश्यों को प्राप्त करना है.