UP News: उत्तर प्रदेश के कानपुर (Kanpur) में निकाय चुनावों में समाजवादी पार्टी (SP) ने खूब दम भरा. अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav), शिवपाल यादव (Shivpal Yadav) और डिंपल यादव (Dimple Yadav) की तिकड़ी कानपुर की पिच पर धुआंधार प्रचार करने उतरी लेकिन बीजेपी (BJP) के आगे किसी का जादू भी नहीं चला और सपा की मेयर प्रत्याशी को काफी बड़े अंतर से हार का मुंह देखना पड़ा. यही नहीं सपा विधायकों मोहम्मद हसन रूमी (Mohammad Hassan Roomi) और अमिताभ बाजपेई (Amitabh Bajpai) अपने वार्ड के पार्षदों तक को नहीं जीता पाए.


यही नहीं सपा जिलाध्यक्ष के भाई भी चुनाव हार गए यानी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लहर में सपा के सभी दावे फुस्स साबित हुए. बीजेपी में निकाय चुनाव से पहले हुई बगावत और मजबूत ब्राह्मण कैंडिडेट उतारे जाने की बिना पर सपा को यहां अपना मेयर बनता हुआ दिख रहा था. यही कारण रहे कि सपा ने कानपुर में महापौर पद पर वंदना बाजपाई को उतारने के बाद उनके प्रचार में अपने टॉप लीडर्स को भी उतार दिया. मैनपुरी से सांसद डिंपल यादव ने किदवई नगर विधानसभा से लेकर लंबा रोड शो किया.


मेयर पद पर डेढ़ लाख से ज्यादा वोटों से जीती बीजेपी


शिवपाल सिंह यादव ने कई विधानसभाओं में कार्यकर्ता सम्मेलन के जरिए पार्टी के पक्ष में जन समर्थन जुटाने की कोशिश की. प्रचार के आखिरी दिन खुद समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव कानपुर पहुंचे और संकरी-संकरी गलियों में प्रचार रथ लेकर बीजेपी के दिग्गजों के दिलों को थामने का दावा किया लेकिन जब मतगणना का रिजल्ट आया तो सभी भौचक्के रह गए, जिस लड़ाई को कांटे का मुकाबला बताया जा रहा था, वह नतीजों में एकतरफा दिखा. बीजेपी की प्रमिला पांडे ने 1 लाख 80 हजार मतों के अंतर से सपा की वंदना बाजपेई को करारी शिकस्त दी.


सपा के दावे कोरे साबित हुए- बीजेपी


यही नहीं आर्य नगर विधानसभा से सपा विधायक अमिताभ बाजपेई और कानपुर कैंट से विधायक मोहम्मद हसन रूमी अपने अपने वार्ड के पार्षद तक नहीं जीता पाए, जबकि पार्टी के जिला अध्यक्ष फजल महमूद अपने भाई को पार्षद का चुनाव जिताने में असफल साबित हुए. बीजेपी का कहना है कि सपा की तरफ से बड़े-बड़े दावे जरूर किए गए, जो कोरे साबित हुए.


सपा ने कही समीक्षा करने की बात


वहीं सपा कहना है कि इन सबकी समीक्षा की जा रही है. साथ ही प्रदेश सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने इस चुनाव को अपने हिसाब से कराया है. जानकारों के मुताबिक साल 2024 के लिए समाजवादी पार्टी की राह आसान नहीं दिखती क्योंकि जिस तरह की राजनीति देखने को मिल रही है, वो सपा के लिए बहुत चुनौतीपूर्ण है.


विपक्षी दलों को करनी पड़ेगी कड़ी मशक्कत


सपा के दिग्गज नेताओं ने जिस तरह कानपुर में ताबड़तोड़ रैलियां कीं, रोड शो किया, उसके बाद पार्टी के पक्ष में एक माहौल बनने की बात कही थी लेकिन चुनावी नतीजे कुछ इस तरह आए, जिससे एक बात तो साफ हो गई है कि योगी-मोदी के मुकाबले के लिए सपा समेत सभी विपक्षी दलों को कड़ी मशक्कत करनी पड़ेगी.


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