लखनऊ: झारखंड के शहर जामताड़ा को भारत की 'फिशिंग राजधानी'के रूप में जाना जाता है. जामताड़ा की सीमाएं अब काफी बढ़ गई हैं. साइबर अपराध के सर्वाधिक मामले अब उत्तर प्रदेश के मथुरा,राजस्थान के भरतपुर और हरियाणा के मेवात से रिपोर्ट किए जा रहे हैं.पिछले कुछ महीनों में,शहरों का यह त्रिकोण डीपफेक के आधार पर ब्लैकमेल करने में माहिर लगने लगा है. 


क्या कहना है पुलिस का


यूपी पुलिस की साइबर सेल ऐसे कम से कम 400 मामलों की जांच कर रही है.पुलिस अधीक्षक,साइबर सेल त्रिवेणी सिंह का कहना है कि जालसाज तकनीक का उपयोग कर लोगों की पोर्न क्लिप बनाते हैं.फर्जी अश्लील वीडियो बनाने के बाद वह पीड़ितों को फोन करते हैं और उन्हें 5,000 रुपये से 50,000 रुपये के बीच पैसे के लिए ब्लैकमेल करते हैं. उनमें से कुछ मुंबई और कोलकाता जैसे शहरों में अच्छे परिवारों के लोगों को फंसाने के लिए अंग्रेजी बोलते हैं.


लखनऊ के एक व्यवसायी को हाल ही में 'सेक्सटॉर्शन'के प्रयास में निशाना बनाया गया था.सोशल मीडिया पर एक महिला की फ्रेंड रिक्वेस्ट स्वीकार करने के तुरंत बाद उसे उसका व्हाट्सएप वीडियो कॉल आया.15 सेकंड की कॉल के दौरान,उसने मोहक इशारों और शब्दों से फंसा लिया.मिनटों बाद व्यवसायी को 30 लाख रुपये देने और सोशल मीडिया पर लीक हुई महिला के साथ अपनी बातचीत देखने के लिए एक और कॉल आया.मेवात में आरोपियों का पता लगाया गया और उन्हें गिरफ्तार किया गया.


कैसे काम करता है गैंग


पिछले एक साल में,एक वरिष्ठ पीसीएस अधिकारी सहित लगभग 300 लोगों ने इसी तरह की यौन शोषण की शिकायतों के साथ साइबर सेल से संपर्क किया है.ई-कॉमर्स साइटों और ऑनलाइन मार्केटप्लेस पर ऑनलाइन लेन-देन करते समय लोगों को ठगे जाने के मामले भी सामने आए हैं. जो साइबर धोखाधड़ी का सबसे आम रूप हैं.


सिंह ने कहा,"जालसाज ओएलएक्स जैसे ऑनलाइन मार्केटप्लेस पर नजर रखते हैं,जहां लोग अपने उत्पादों को बेचते हैं.वह फौजी के रूप में नकली खाते बनाते हैं और खरीदार के रूप में खुद को पेश करते हैं.उत्पाद खरीदते समय वह विक्रेता को क्यूआर कोड के माध्यम से ऑनलाइन लेनदेन करने के लिए बरगलाते हैं."


नकली पुलिस बन धमकाते हैं


एक अन्य साइबर सेल अधिकारी का कहना है कि जामताड़ा के विपरीत,ई-कॉमर्स साइटों के माध्यम से सेक्स्टॉर्शन और धोखाधड़ी में विशेष कौशल शामिल नहीं है, जिसके लिए लंबी अवधि में लक्ष्य को हासिल करने और समझाने की जरूरत होती है.ऐसे मामलों में अपराधी अपने लक्ष्य को लुभाने के लिए या लिंक के माध्यम से या वीडियो कॉलिंग के माध्यम से अपने लक्ष्य को फंसाने के लिए मोबाइल एप्लिकेशन का उपयोग करते हैं.यदि कोई लक्ष्य उनके नंबर को ब्लॉक कर देता है,तो वे व्यक्ति से संपर्क करने के लिए दूसरे सिम का उपयोग करते हैं.तीसरा और अंतिम चरण है एक पुलिसकर्मी का रूप धारण करना और लक्ष्य को धमकाना है.


स्कैमर्स अपना होमवर्क ऑनलाइन विज्ञापनों को स्कैन करके करते हैं.वह खुद को सेना या अर्धसैनिक बलों के कर्मियों के रूप में पेश करके लोगों का विश्वास जीतते हैं. वह नकली बैज नंबर,बटालियन का नाम,पोस्टिंग की जगह,सेना की वर्दी में अपनी तस्वीर और पहचानपत्र भी देते हैं


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