Gorakhpur News: आमतौर पर आसमान में खगोलीय घटना का नजारा देखने को कम ही मिलता है. 23 अप्रैल को आसमान में एक खगोलीय घटना लोगों का ध्यान आकर्षित करेगी. आसमान में घटने वाली इस खगोलीय घटना को 'पिंक मून', 'फुल मून' या फिर 'अप्रैल मून' के नाम से भी जाना जाता है. पूर्ण चांद यानी फूल मून बरबस ही लोगों को आकर्षित करेगा.


गोरखपुर के तारामंडल के खगोलविद अमरपाल सिंह ने बताया कि 23 अप्रैल को दिन ढलने के बाद चंद गुलाबी रंग का दिखाई देगा. इस खगोलीय घटना को पिंक मून या फुल मून कहते हैं. ये एक खगोलीय घटना है, जो कि पूर्ण चंद्र के दौरान ही घटित होती है. जिस दिन चांद सामान्य दिनों से बड़ा व चमकीला दिखाई देता है, उसे फूल मून कहते हैं.


खगोलविद ने क्या कहा
खगोलविद अमर पाल सिंह ने बताया कि इस बार 23 अप्रैल को होने वाले पिंक मून (पूर्ण चंद्र) को 23 अप्रैल की सुबह 03 बजकर 25 मिनट से लेकर 24 अप्रैल 5 बजकर 18 मिनट तक देख सकते हैं. कभी-कभी चांद के रंग में नज़र आने वाला बदलाव या परिवर्तन पृथ्वी के वायु मंडल में उपस्थित अति सूक्ष्म धूल के कणों और विभिन्न प्रकार की गैसों की मौजूद ऊर्जा और अन्य धूम प्रदूषण के कारण भी पृथ्वी पर आने वाले प्रकाश की मात्रा में व्यवधान उत्पन्न करते हैं.


उन्होंने कहा कि, पृथ्वी पर आने वाला प्रकाश टकराकर कई प्रकारों में अपने-अपने तरंगधैर्य के हिसाब से बिखर जाता है, जिसमें सबसे ज्यादा जल्दी नीला रंग बिखरा हुआ नज़र आता है. लाल रंग दूर तक जाता है. इस कारण चन्द्रमा को पृथ्वी से देखने पर कभी-कभी चंद्रमा हल्का सा अन्य रंगों के जैसे भी दिखता है, जैसे कत्थई, इंडिगो, हल्का सा नीला, सिल्वर, गोल्डन, हल्का सा पीला व इल्यूजन के कारण सामान्य से कुछ बड़ा सा भी नज़र आता है. इसे खगोल विज्ञान की भाषा में रिले स्कैटरिंग या प्रकाश का प्रकीर्णन भी कहा जाता है. इन तमाम कारणों से ही कुछ बदला हुआ सा भी नज़र आता है, लेकिन इसका गुलाबी चांद के नाम से रंग का कोई विशेष मतलब नहीं है, लेकिन सामान्य रातों में आकाश साफ़ होने पर चांद का वास्तविक रंग सफ़ेद व चमकीला ही होता है. 


खगोलविद अमर पाल सिंह ने बताया कि अप्रैल माह में घटित होने वाले फुल मून (पूर्ण चंद्र) जो कि रात्रि के आकाश में चांदनी विखेरते हुए नज़र आता है, उसी पूर्ण चंद्रमा को पिंक मून  (गुलाबी चांद) कहा जाता है. इसे अन्य कई नामों से भी जाना जाता है. जैसे स्प्राउट मून, एग मून, फिश मून, फशय मून, फेस्टिवल मून, फुल पिंक मून, ब्रीकिंग आइस मून, बडिंग मून अबेकनिंग मून इत्यादि नामों से जाना जाता है.


दरअसल यह नाम मूल रूप से उत्तरी अमेरिका में निवास करने वाले और ख़ासकर छोटे जनजातीय समुदाय में निवास करने वाले किसानों द्वारा 1930 के दौरान दिया गया था, क्योंकि अप्रैल के इस मौसम के दौरान ही इसी दौरान अमेरिका के पूर्वी व उत्तरी हिस्सों के जंगल में उगने वाले एक खास किस्म के पौधे जिसे फ्लॉक्स सुबूलाटा या क्रीपिंग फ्लोक्स और मॉस फ्लॉक्स या मॉस पिंक भी कहा जाता है, जो दिखने में मनमोहक गुलाबी रंग का होता है उसी के नाम पर अप्रैल के पूर्ण चंद्र को पिंक मून नाम दिया गया है, जो आज भी चलन में है. जबकि वास्तव में चांद के संदर्भ में इसका मतलब यह नहीं है कि इस दिन चांद भी पूरी तरह से गुलाबी रंग में रंगा हुआ नज़र आने वाला है.



 


कैसे देखे पिंक मून
वीर बहादुर सिंह नक्षत्र शाला के खगोलविद अमर पाल सिंह ने बताया कि इसे देखने के लिए आप को किसी भी ख़ास या विशेष उपकरण की भी आवश्यकता नहीं है. इस दौरान आप अपनी साधारण आंखों से ही अपने घरों से ही इस का दीदार कर सकते हैं. रात में टूटते हुए तारों (उल्का पिंडों) जो वायु मंडल में घर्षण के कारण जलती हुईं नज़र आएंगी. ऐसी शानदार उल्काओं का भी आनन्द ले सकते हैं. अप्रैल माह में होने वाली उल्का बौछार को लिरिड मेटियर शॉवर नाम से जाना जाता है. इसे भी देख सकेंगे. इससे सम्बन्धित या अन्य कोई भी खगोल विज्ञान से संबंधित विशेष प्रकार की जानकारी और खगोलीय घटनाओं को विशेष प्रकार की ख़ास दूरबीनों से सजीव देखने के लिए वीर बहादुर सिंह नक्षत्र शाला (तारामण्डल) गोरखपुर में भी जा सकते हैं.