उत्तर प्रदेश में सभी राजनीतिक दल इस समय विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुटे हैं. इसी बीच निर्वाचन आयोग ने विधान परिषद के चुनाव की तारीखों का भी ऐलान कर दिया है. इस वजह से राजनीतिक दलों के सामने एक बड़ी चुनौती भी आ गई है. कुछ राजनीतिक दलों का यह भी मानना है कि व्यवहारिक रूप से इसमें समस्या आ सकती है. ऐसे में निर्वाचन आयोग को इसके बारे में फिर विचार करना चाहिए. नेताओ की माने तो यूपी के राजनीतिक इतिहास में पहली बार होगा जब एक ही दिन विधानसभा और विधान परिषद दोनों के लिए मतदान होंगे.


विधान परिषद चुनाव में कौन-कौन करेगा मतदान


ग्राम प्रधान, क्षेत्र पंचायत सदस्य, ब्लाक प्रमुख, जिला पंचायत सदस्य, जिला पंचायत अध्यक्ष, पार्षद, महापौर, नगर पंचायत अध्यक्ष और नगर पालिका परिषद चेयरमैन को एक ही दिन में दो-दो चुनाव के लिए मतदान करना होगा. असल मे एमएलसी के लिए 3 और 7 मार्च को दो चरण में मतदान होना है. इन्हीं तारीखों पर विधानसभा चुनाव के छठे और सातवें चरण का भी मतदान होगा. 


राजनीतिक दल इस समय टिकट के लिए कैंडिडेट फाइनल करने, जिन्हें टिकट नहीं मिल रहा उन्हें संतुष्ट करने और दूसरे दलों में सेंधमारी और चुनाव को लेकर अन्य रणनीति में जुटे हैं. ऐसे में विधान परिषद के चुनाव की घोषणा से कहीं ना कहीं उनकी चुनौती और बढ़ जाएगी. खास तौर से बीजेपी और समाजवादी पार्टी के लिए सबसे ज्यादा चुनौती बढ़ेगी. राजनीतिक दल जिनको टिकट नहीं दे रहे या जिनका टिकट काट रहे हैं, उनमें से कई को विधान परिषद भेजने का आश्वासन भी दे रहे हैं. जिससे वो इस चुनाव में नाराजगी के चलते पार्टी के खिलाफ न जाएं. लेकिन विधान परिषद के चुनाव का ऐलान होने से अब कहीं ना कहीं इनका समीकरण बिगड़ेगा.


विधान परिषद की दलीय स्थिति


विधान परिषद के 100 सदस्यों में अभी सपा के 48 और बीजेपी के 36 सदस्य हैं. जिन 36 सदस्यों के लिए चुनाव हो रहे हैं उनमें करीब 30 सपा के एमएलसी हैं. हालांकि इनमें कुछ ऐसे भी हैं जो पिछले कुछ समय में सपा का दामन छोड़ बीजेपी के खेमे में आ चुके हैं. दो चुनाव एक साथ होने से अब इन राजनीतिक दलों को अलग-अलग तैयारी भी करनी होगी. क्योंकि बात विधान परिषद में बहुमत लेन की जो है.


UP Election 2022: प्रियंका गांधी का चुनाव आयोग पर बड़ा आरोप, कहा- युवा घोषणा पत्र जारी करने से रोका गया


सपा एमएलसी उदयवीर सिंह कहते हैं कि सरकार होपलेस हो गई है. उसे पता है कि 10 मार्च के बाद ये चुनाव हुए तो विपरीत स्थिति होगी. वो सरकार से निकल जाएंगे, लड़ने के लिए उम्मीदवार नहीं मिलेंगे. उन्होंने आरोप लगाया कि ये प्रोग्राम बनाने में सरकार की भूमिका रही है निर्वाचन आयोग साथ. उन्होंने सोचा विधानसभा मतदान परिणाम से पहले वोट पड़ जाएं. उन्होंने कहा कि हम नवंबर से सोच रहे थे चुनाव होगा. तब बीजेपी के लोगों ने सीएम को राय दी पहले सरकार बना लीजिए. लेकिन अब सरकार की हताशा, निराशा हो गई जबसे इनके सांसदों, विधायकों का गांव वालों ने घुसना बंद किया, पब्लिक ने विरोध किया. तब इन्होंने सोच सरकार जाने से पहले चुनाव कर लें. हमे तो तब भी लड़ना था, अब भी लड़ना. जो सरकार का लाभ लेना चाहते थे उनके लिए समस्या है, हमारे लिए नहीं.


बीजेपी ने कहा, चुनाव के लिए हमेशा तैयार


वहीं बीजेपी प्रवक्ता हीरो बाजपेयी के मुताबिक दो चुनाव एक साथ, एक समय होने से मतदाता और चुनाव लड़ने वाले दोनों के सामने संकट आएगा. उन्होंने कहा ये समस्या सभी दलों के सामने होगी. उम्मीद है आयोग इसे देखते हुए आगे चुनाव का प्रबंध करेगा. उन्होंने कहा बीजेपी तो 24 घंटे, सातों दिन काम करने वाली काडर बेस पार्टी है. ये देश और लोकतंत्र की विडंबना है कि पांचों वर्ष चुनाव होता रहता. लेकिन बीजेपी किसी भी चुनाव के लिए हमेशा तैयार रहती है. 


UP Election 2022: 31 जनवरी को यूपी में वर्चुअल रैली को संबोधित करेंगे पीएम मोदी, लोगों से मांगे सुझाव