UP Madrasa Survey: उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य में मदरसों का सर्वे पूरा करने का समय बढ़ा दिया है. प्रदेश में अब तक कई जिलों का मदरसा सर्वे पूरा कर लिया गया है और रिपोर्ट संबंधित जिलाधिकारियों को पहुंचाई जा चुकी है. अब तक जितनी जांच हुई है, उनमें 5,140 मदरसे बिना मान्यता के चलते पाए गए हैं. बताया जा रहा है कि ज़्यादातर मदरसे बिहार और नेपाल के बॉर्डर पर बसे हैं, जो नेपाल सीमा के 10 किलोमीटर के दायरे में बनाए गए हैं.


पहली बार सरकार के सामने गैर मान्यता प्राप्त मदरसों की संख्या आई है. वहीं,  बड़ी संख्या में गैर मान्यता प्राप्त मदरसों को संदिग्ध रूप से फंडिंग की सूचना भी मिली है. 


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बारिश की वजह से सर्वे का काम रुका
बताया जा रहा है कि उत्तर प्रदेश के कई जिलों में लगातार हो रही बारिश और इसी बीच पड़ने वाले बड़े त्योहारों की वजह से कई जिलों में सर्वे का काम रोकना पड़ा था. वहीं, पूर्वांचल में आई बाढ़ की वजह से भी सर्वे का काम अटक गया था. ऐसे में जिला प्रशासन की तरफ से समय सीमा बढ़ाए जाने की भी मांग की जा रही थी. इसी को देखते हुए शासन ने सर्वे की टाइम लिमिट बढ़ा दी है.


आपको बता दें, मदरसों के सर्वे में सनसनीखेज़ खुलासा हुआ है. अब तक की जांच में 5140 मदरसे बिना मान्यता के चलते मिले हैं. रिपोर्ट में पाया गया है कि बीते करीब आठ साल में सिद्धार्थनगर, बलरामपुर, कुशीनगर, महाराजगंज, श्रावस्ती, बहराइच, लखीमपुर खीरी, पीलीभीत में अचानक से मदरसों की संख्या बढ़ गई है. 


नेपाल बॉर्डर के नो मैन्स लैंड में भी बने मदरसे
सर्वे रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि भारत-नेपाल के बॉर्डर पर कई गैर मान्यता प्राप्त मदरसे बने हुए हैं, जो नेपाल सीमा से दस किलोमीटर के दायरे में बसे हैं. इतना ही नहीं, सीमा के नो मैन्स लैंड, जहां किसी व्यक्ति को जाने की अनुमति नहीं है, वहां की जमीन पर भी मदरसों के नाम पर कब्जा किया हुआ है. इन बिना मान्यता प्राप्त मदरसों को करोड़ों की फंडिंग भी मिल रही है. सर्वे में पता चला है कि छोटे-छोटे गांव में 5 से 6 तक मदरसे बनाए गए हैं. 


सर्वे टीम का मानना है कि प्रदेश में करीब 10 हजार ऐसे मदरसे हो सकते हैं, जो बिना मान्यता के चल रहे हैं. आंकड़े यह भी बताते हैं कि साल 2014 में मोदी सरकार के आने के बाद से ऐसे मदरसों की संख्या में बड़ा इजाफा हुआ है.