UP Politics: योगी सरकार पार्ट 1 के मंत्रिमंडल में कई ऐसे चेहरे रहे जिन्हें योगी 2.0 में जगह नहीं मिल पाई. ये तमाम ऐसे नेता अब चाहते हैं कि उन्हें किसी तरह संगठन में समायोजित किया जाए. वहीं पार्टी भी चाहती है कि इनका उपयोग किया जाये. जिसे देखते हुए जल्द ही ऐसे कई चेहरों को संगठन में अहम भूमिका मिल सकती है. बीजेपी के पास ऐसे लोगों की लंबी सूची है ऐसे में सभी को समायोजित करना इतना आसान काम भी नहीं है. जाहिर है सबके कद को देखते हुए पार्टी का कड़ी मशक्कत करनी पड़ेगी.
योगी 2.0 में इन्हें नहीं मिली जगहसीएम योगी के दूसरे कार्यकाल में जिन चेहरों को इस बार जगह नहीं मिली उनमें अलग अलग श्रेणी है. एक वो जो इस बार चुनाव हार गए. दूसरे वो जो चुनाव तो जीते लेकिन फ़िर भी मंत्रिमंडल मे जगह नहीं मिली. तीसरे वो जिन्हे पिछली बार एमएलसी कोटे से मंत्री बनाया गया था. सबसे पहले बात करते है उनकी जो इस चुनाव में अपनी सीट नहीं बचा पाए. पहले कार्यकाल के 8 मंत्री चुनाव हारे थे. इनमें से सिर्फ केशव प्रसाद मौर्य को दोबारा डिप्टी सीएम बनाया गया. जबकि सुरेश राणा, डॉ. सतीश द्विवेदी. उपेंद्र तिवारी और पूर्व राज्य मंत्री आनंद स्वरूप शुक्ला को कहीं जगह नहीं मिली. सूत्रों के मुताबिक ये सभी दौड़ लगा रहे हैं कि इन्हें पार्टी संगठन मे जगह मिल जाये. अगर ऐसा नहीं हो पता तो किसी निगम या बोर्ड में जगह मिल जाये.
चुनाव जीते पर मंत्रीपद नहीं मिलाअब बात करते हैं उन चेहरों कि जो चुनाव जीतकर भी मंत्रिमंडल का हिस्सा नहीं बन पाए. जैसे पूर्व कैबिनेट मंत्री श्रीकांत शर्मा, डॉ. सिद्धार्थनाथ सिंह. ये दोनों ही राष्ट्रीय टीम में प्रवक्ता, मंत्री या उपाध्यक्ष बनने का प्रयास कर रहे है. पूर्व कैबिनेट मंत्री डॉ. महेन्द्र सिंह जो पिछली बार एमएलसी कोटे से मंत्रिमंडल का हिस्सा बने थे उन्हें भी इस बार जगह नहीं मिली. ऐसे मे वो भी राष्ट्रीय टीम का हिस्सा बनने की कोशिश कर रहे हैं. इनके अलावा कई और चेहरे भी हैं जो या एमएलसी कोटे से मंत्री थे या चुनाव जीतकर आए थे जैसे पूर्व परिवहन मंत्री अशोक कटारिया, पूर्व पर्यटन मंत्री डॉ. नीलकंठ तिवारी, पूर्व राज्य मंत्री सुरेश पासी व अनिल शर्मा. अब ये तमाम नेता प्रदेश संगठन में जगह चाहते हैं.
क्या कहते हैं बीजेपी के बड़े नेताइस बारे में पूछने पर सहकारिता मंत्री व बीजेपी के प्रदेश महामंत्री जेपीएस राठौर ने कहा कि चुनाव मे जीतना हारना बड़ा नहीं. पुष्कर धामी चुनाव हारकर भी सीएम बने, केशव प्रसाद मौर्य चुनाव हारकर भी डिप्टी सीएम बने. चुनाव जीतना हारना परिस्थितियों के चलते होता है. पूर्व पीएम अटल बिहारी बाजपेयी, इंदिरा गांधी भी चुनाव हारे, ये कोई पैमाना नहीं है. कई अच्छे कार्यकर्ता हैं उन्हें समायोजित किया जाना चाहिए ये उनकी भी इच्छा है. परिवहन मंत्री व भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष दयाशंकर सिंह ने कहा ये बीजेपी की प्रक्रिया है कि संगठन के लोग सरकार में और सरकार के लोग संगठन में आते-जाते रहते हैं. कब किस व्यक्ति कि कहां उपयोगिता ये संगठन तय करता है.
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