UP Politics: सीतापुर जेल में बंद पूर्व कैबिनेट मंत्री और कद्दावर नेता आज़म खान की सपा से नाराजगी की खबरों के बीच उनसे राजनेताओं की मुलाकातों का सिलसिला चल पड़ा है. कांग्रेस नेता और प्रियंका गांधी के राजनितिक सलाहकार प्रमोद कृष्णम् भी आज सीतापुर जेल पहुंचे और उन्होंने आज़म खान से मुलाकात की. इससे पहले कल समाजवादी पार्टी के विधायक रविदास मल्होत्रा के साथ सपा का एक प्रतिनिधि मंडल आज़म खान से मिलने सीतापुर जेल पहुंचा था लेकिन आज़म खान ने मिलने से मना कर दिया था. आज़म, अखिलेश और सपा से नाराज़ बताये जा रहे हैं यही वजह है कि आज़म खान और उनका परिवार अन्य पार्टियों के नेताओं से तो मिल रहा है लेकिन सपा से दूरी बनाये हुए है.


क्यों सपा से नाराज़ हुए आज़म खान?


आज़म खान और उनके परिवार की नाराज़गी उस वक़्त खुल कर सामने आई जब 10 अप्रैल को रामपुर में आज़म खान के मीडिया प्रभारी फ़साहत खान उर्फ़ शानू ने समाजवादी पार्टी की मीटिंग में खुलकर अखिलेश यादव पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि अखिलेश ने आज़म को बलि का बकरा बना दिया है. वो नहीं चाहते कि आजम जेल से बाहर आएं. इतना ही नहीं फसाहत खान ने सपा अध्यक्ष पर बुरे वक़्त में उनका साथ नहीं देने का आरोप लगाते हुए कई गंभीर हमले किए. इसके बाद से यूपी में सपा के कई नेताओं ने आज़म खान के समर्थन में इस्तीफे दे दिए.


आजम से साहनुभूति जा चुके हैं ये बड़े नेता


सपा से नाराजगी के बीच आज़म खान के परिवार से मिलने के लिए 20 अप्रैल को रालोद नेता जयंत चौधरी रामपुर पहुंचे थे. 20 अप्रैल को ही आज़ाद समाज पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अब्बास गाज़ी ने उनके परिवार से रामपुर में मुलाकात की थी. इसके बाद 22 अप्रैल को प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष शिवपाल यादव ने सीतापुर जेल पहुंचे. जिसके बाद शिवपाल यादव ने भी सपा पर आजम का साथ नहीं देने का आरोप लगाया और अब कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम् आज़म खान से मिलने पहुंचे हैं. इतना ही नहीं अब तो आज़म खान के समर्थन में भाजपा के सांसद ब्रज भूषण शरण और यूपी सरकार के परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह भी आज़म खान से हमदर्दी जता रहे हैं इतना ही नहींं बीजेपी सांसद ब्रजभूषण शरण ने तो सीतापुर जेल जाकर आज़म खान से मिलने की इच्छा भी जता दी है. इससे पहले यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी कह चुके हैं की अखिलेश यादव ही नहीं चाहते की आज़म खान जेल से बाहर आएं. 


जेल में क्यों बंद हैं आज़म खान?


ये बात 2019 के लोकसभा चुनावों के समय की है जब सपा और बसपा का लोकसभा चुनावों में गठबंधन हुआ था. चुनाव प्रचार के दौरान उस समय आज़म खान ने अति उत्साह में रामपुर के तत्कालीन जिला अधिकारी आन्जनेय कुमार पर आपत्तिजनक टिप्णी कर दी थी जिसे लेकर जिला अधिकारी और आज़म खान के बीच ठन गई. चुनाव में आज़म खान तो जीत गए लेकिन गठबंधन को हार का सामना करना पड़ा. आज़म खान पर इसके बाद मुकदमों की झड़ी लग गयी और आज़म खान और उनके परिवार और समर्थकों पर सैकड़ो मुक़दमे दर्ज हो गए. नतीजा ये हुआ कि 26 फ़रवरी 2020 को आज़म खान ने रामपुर जिला अदालत में पत्नी तन्ज़ीन फातिमा और बेटे अब्दुल्लाह आज़म के साथ जाकर कोर्ट में आत्म समर्पण कर दिया. जहां से उन्हें सीतापुर जेल भेज दिया गया. तन्ज़ीन फातिमा और अब्दुल्लाह आज़म तो जेल से ज़मानत पर बाहर आ चुके हैं लेकिन आज़म खान अभी सीतापुर जेल में बंद हैं और उस समय के जिला अधिकारी आन्जनेय कुमार का प्रमोशन हो गया और अभी वो मुरादाबाद मंडल के कमिश्नर हैं रामपुर भी मुरादाबाद कमिश्नरी में ही आता है. 


सपा पर लगाया साथ न देने का आरोप 


आज़म खान के मीडिया प्रभारी फसाहत खान शानू और आज़म खान के कई समर्थकों का आरोप है कि आज़म खान और उनका परिवार जेल चला गया लेकिन समाजवादी पार्टी और अखिलेश यादव ने उनके बुरे वक़्त में साथ नहीं दिया और कोई आंदोलन आज़म खान के लिए नहीं किया गया. इतना ही नहीं विधान सभा चुनावों में आज़म खान और उसके परिवार को सम्मान न देने का भी आरोप आज़म खान के करीबियों ने अखिलेश यादव पर लगाये हैं. आज़म के करीबी ही नहीं अब तो शिवपाल यादव, जयंत चौधरी, बृजभूषण शरण, दयाशंकर सिंह और आचार्य प्रमोद कृष्णम जैसे बड़े नेता उनके साथ हमदर्दी जता चुके हैं. 


क्या होगा आज़म का अगला कदम     


आज़म खान के करीबी सूत्रों के मुताबिक अब आज़म खान, उनका पूरा परिवार और समर्थक ये तक कह चुके हैं कि सपा आजम के साथ अच्छा नहीं किया. और अब वो सपा में नहीं रहेंगे. सूत्रों के मुताबिक आज़म खान जेल से बाहर आते ही अपनी नई राजनीतिक पार्टी का एलान कर सकते हैं और विपक्ष के सभी नेताओं के साथ मिलकर यूपी में मज़बूत विकल्प के रूप में तीसरे मोर्चे का गठन होगा. जिसका एलान आज़म के जेल से बाहर आते ही सभी नेता सामूहिक रूप से करेंगे. यूपी की राजनीति में आज़म खान का बड़ा नाम है और हर पार्टी में चाहे वह विपक्ष की हो या सत्तापक्ष की आज़म के सभी बड़े नेताओं से अच्छे संबंध हैं.  यही वजह है कि अब विपक्षी दलों के साथ ही बीजेपी के नेता भी उनसे हमदर्दी जता रहे हैं. जिस तरह से प्रसपा, रालोद, आज़ाद समाज पार्टी, AIMIM, कांग्रेस और बीजेपी के नेता उनसे सहानुभूति दिखा रहे हैं उससे यही लगता है कि आजम खान की मुश्किलें कम हो सकती हैं और उनके अच्छे दिन आ सकते हैं. 


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