UP News: शामली में प्रदर्शनकारी गन्ना किसानों का धैर्य जवाब दे गया. उन्होंने अनिश्चितकालीन धरने की घोषणा कर दी. किसानों ने कहा कि 86 दिनों से धरने की सुध लेने वाला कोई नहीं है. बकाया भुगतान नहीं होने की वजह से खेती छोड़ शुगर मिल परिसर में डेरा जमाने को मजबूर हैं. उन्होंने बताया कि अलग-अलग चीनी मिलों पर जनपद शामली में 338 करोड़ रुपये बकाया है. शामली गन्ना मिल पर किसानों का 221 करोड़ रुपये, गूगल शुगर मिल पर 50 करोड़ और थाना भवन शुगर मिल पर 50 करोड़ बकाया है. उन्होंने कहा कि धरना स्थल पर विवाद का फैसला होगा. गन्ना पेराई का सत्र चालू हो गया है.


किसानों ने अनिश्चितकालीन धरने का किया ऐलान


डर है कि पिछले बकाए का भुगतान नहीं होने पर आगामी सत्र में भी गारंटी नहीं है. प्रदर्शनकारी किसानों ने चेतावनी दी कि आगामी सत्र में 14 दिनों के बाद भुगतान का आश्वासन नहीं मिलने पर चीनी मिलों को गन्ना नहीं मिलेगा. शुगर मिल परिसर में 21 अगस्त से बकाया भुगतान की मांग को लेकर धरना दे रहे किसानों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है.


पश्चिमी उत्तर प्रदेश में किसानों के लिए गन्ना नगदी फसल है. गन्ना को बेचकर किसान परिजनों का पेट पालते हैं. पिछले कई वर्षों से गन्ने का समय पर भुगतान नहीं होने की वजह से किसानों की परेशानी बढ़ गई है.


गन्ने का भुगतान नहीं होने से रोजी-रोटी का संकट 


किसान नेता कवींद्र कुमार ने कहा कि धरना गैर राजनीतिक धरना है. बकाया भुगतान के विवाद का निपटारा धरना स्थल पर होगा. उन्होंने सरकार और प्रशासन पर गन्ना किसानों की समस्याओं से आंख मूंदने का आरोप लगाया. रोजी-रोटी का संकट होने की वजह से बच्चों की फीस भर पाने और इलाज कराने में किसान असमर्थ हैं.


किसानों ने बताया कि दो मुख्य रूप से मांगे हैं. पिछला बकाया और आगामी सत्र में 14 दिन के बाद भुगतान नहीं होने पर किसान शुगर मिलों को गन्ना नहीं देंगे. गन्ना बेचने के लिए किसान स्वतंत्र हैं. सही समय पर भुगतान करने वाली शुगर मिलों को किसान गन्ना देने के लिए स्वतंत्र हैं. किसानों ने यहां तक अल्टीमेटम दे दिया कि गन्ना दूसरे प्रदेशों में बेचकर उधारी की समस्या से मुक्ति पाएंगे. 


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