Uttarkashi Tunnel Accident: उत्तराखंड में यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर सिलक्यारा-डंडालगांव सुरंग के एक हिस्से के ढहने से पिछले चार दिनों से उसके अंदर 40 श्रमिक फंसे हुए हैं. जिन्हें बाहर निकालने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन चल रहा है. इस बचाव अभियान में काफी रुकावटें भी आ रही हैं. बीते दिन यानी मंगलवार को भी 'एस्केप टनल' बनाने के लिए शुरू की गई ड्रिलिंग को भूस्खलन के चलते रोकना पड़ा था. आपको बताते हैं कि इसके अलावा वो और कौन सी वजहें हैं जो इस अभियान को धीमा कर रही हैं.

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रेस्क्यू में देरी की 5 वजहें- 

1- टनल के बीच में जो मलबा गिरा है उसे  जैसे ही मशीनों से हटाने की कोशिश करते हैं तो दुबारा मलबा निचे गिर आता है. शुरूआत के दो दिन इसी में निकल गये.

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2- ऑगर मशीन (ड्रिलिंग के लिये) जो कल लाई गयी थी उसे फिट करने में कल पूरा दिन लग गया. आज सुबह वो मशीन खराब हो गई और अब नई मशीन मंगाई गई है. जो आज ही पहुंची.

3- ड्रिलिंग के वक्त कई ठोस पत्थर बीच में आ जा रहे है जिन्हें काटने में काफी समय लग जाता है. जानकारी के मुताबिक 1 मीटर ड्रिल करने में 1 घंटे का समय लग रहा है और करीबन 50 से 60 मीटर की ड्रिलिंग की जानी है.

4- नई ड्रिलिंग मशीन के लिये फिर नया प्लेटफार्म तैयार किया जायेगा. जिसमें 4-5 घंटें का समय या उससे ज़्यादा भी लग सकता है.

5- ड्रिलिंग के बाद अंत में पाइप लगाये जाने हैं जिनके जरिये मजदूरों को बाहर निकाला जायेगा. इन पाइप को फिट करने में भी समय लगेगा.

दुर्घटनास्थल पर श्रमिकों का विरोध प्रदर्शन

बचाव अभियान के दौरान दुर्घटनास्थल पर श्रमिकों का विरोध प्रदर्शन भी देखा गया. इसपर डीजीपी अशोक कुमार ने बुधवार को कहा कि उत्तरकाशी जिले के सिल्क्यारा सुरंग में राहत और बचाव के लिए भारी बरमा ड्रिलिंग मशीनें चिन्यालीसौड़ पहुंच गई हैं. इन्हें जोड़ा जा रहा है, जल्द ही ड्रिलिंग का काम शुरू हो जाएगा. डीजीपी ने सभी लोगों से अनुरोध किया है कि धैर्य और विश्वास रखें, जल्द ही सभी श्रमिकों को सुरक्षित बचा लिया जाएगा. 

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