Kanpur Marriage: आपने कई बार सुना होगा कि छोटी-छोटी बातों को लेकर या किसी हरकतों की वजह से होने वाली शादी नहीं होती है. लेकिन बाद में किसी तरह माफी मांगकर शादी की रस्म को पूरा किया जाता है. ऐसा ही एक मामला कानपुर के जाजमऊ से आया है, जहां शहर काजी ने बरात में डीजे बैंड और आतिशबाजी देखने के बाद इसे शरीयत के खिलाफ करार देते हुए निकाह पढ़ाने से इनकार कर दिया. इस दौरान शहर काजी ने कहा कि बाजा बंद होगा तभी निकाह हो पाएगा. हालांकि बाद में बाजा बंद कराकर दूल्हे के परिवार ने माफी मांगी, जिसके बाद निकाह पढ़ाया गया. इस दौरान उन्होंने निकाह को आसान बनाने और शादियों में गलत रस्मों से दूर रहने की हिदायत भी दी.


दरअसल मंगलवार रात को एक कपड़ा व्यापारी के बेटे की बारात तलाक महल से जाजमऊ गई थी. शहर काजी मौलाना मुश्ताक अहमद मुशाहिदी, जब दुल्हन और दूल्हा का निकाह पढ़ाने पहुंचे तो वहां बैड-बाजा बज रहा था. शरीयत का हवाला पहले उन्होंने लोगों के समझाने का प्रयास फिर नहीं मानने पर, निकाह पढ़ाने से इंकार कर दिया और वापस लौटने लगे. इसके बाद आनन-फानन में दूल्हे के पिता ने बैंड बाजा और आतिशबाजी बंद कराई. शहर काजी से आगे ऐसा न करने का वादा किया गया, इसके बाद उन्होंने दुल्हन और दूल्हा का निकाह पढ़ाया.


'बैंड-डीजे और आतिशबाजी गैर-इस्लामिक'


काजी ने कहा कि "बैंड-डीजे और आतिशबाजी गैर-इस्लामिक हैं, इसके अलावा यह पैसे की बर्बादी भी है. जहां भी ऐसी घटना होगी, मैं निकाह नहीं पढ़ाऊंगा नहीं. आपको बता दें कि मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड, आल इंडिया सुन्नी उलमा सहित अन्य संगठन निकाह को आसान बनाने तथा शादियों में फिजूलखर्ची रोकने का अभियान चला रहे हैं. कुछ दिन पहले शहरकाजी मौलाना मुश्ताक अहमद मुशाहिदी ने शादियों में बैंड बाजा, आतिशबाजी व अन्य फिजूल की रस्मों को बंद करने की अपील की थी.


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