UP News: रायबरेली में जर्जर हो चुके काशीराम आवास योजना के फ्लैट में रहने के लिए लोग मजबूर हैं. हर पल मौत का साया लोगों के सर मंडरा आ रहा है. उसके बावजूद भी मजबूरी में लोग रहने के लिए मजबूर हैं. अरबों की लागत से बने कांशीराम आवास योजना महज 10 साल में जर्जर हो गया. जर्जर कांशीराम आवास योजना की तरफ किसी भी प्रशासनिक अधिकारी की नजरे इनायत नहीं हो रही है. जबकि जर्जर मकान में रह रहे लोगों के साथ कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है. 


महज बारह सालों में सरकारी बिल्डिंग जर्जर हो जाने का मतलब है बिल्डिंग मानक के अनुसार नहीं बनी है. लोगों के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है और कोई कार्यवाही भी नहीं की जा रही है. जनपद के आला अधिकारियों के लिए महत्वपूर्ण काला धन है न कि आम जन का जीवन.


फ्लैट में रह रहे ढाई सौ परिवार 
मिल एरिया थाना क्षेत्र के खोर में काशीराम आवास योजना के अंतर्गत सन 2010 में फ्लैट्स बने थे. जिसके जिम्मेदारी रायबरेली विकास प्राधिकरण की थी. रायबरेली विकास प्राधिकरण ने एक फर्म को ठेका देकर काशीराम आवास योजना के फ्लैट्स का निर्माण करवाया. 2012 तक गरीबों को आवास आवंटित भी हो गए. लेकिन महज 12 साल के अंदर काशीराम आवास योजना के अंतर्गत बने सभी फ्लैट्स जर्जर और जीर्ण शीर्ण अवस्था में पाए जा रहे हैं. 


जबकि लगभग ढाई सौ परिवार इस फ्लैट में निवास कर रहे हैं. ढाई सौ परिवारों में लगभग एक हजार से अधिक लोग मौत के साए में फ्लैट में रहने के लिए मजबूर हैं. जब कभी भी आंधी और पानी आता है तो फ्लैट के लोग ऊपर से भागकर नीचे उतर कर मैदान में खड़े हो जाते हैं. इस बात का इंतजार करते रहते हैं किस फ्लैट की बिल्डिंग कब गिरेगी लेकिन क्योंकि वह गरीब है इसलिए फिर वह उसी फ्लैट में रहने के लिए चले जाते हैं. 


Kanpur Violence: कानपुर हिंसा में 30 गिरफ्तार, आरोपियों को पकड़ने में लगी 10 टीमें


शिकायत का नहीं है असर
शिकायत जिला प्रशासन से की गई लेकिन उन्हें भी शायद हादसे का इंतजार है. तभी कार्यदायी संस्था पर कोई कार्यवाही नहीं की गई और ना ही उसकी जिम्मेदारी ली गई. अगर ऐसा ही चलता रहा तो रायबरेली जनपद पूरे देश में हादसे में नंबर वन जगह जरूर बनवायेगा.


काशीराम आवास योजना के तहत बना फ्लैट्स पूरी तरह जर्जर और कंकाल बन गया है. छज्जों, छत और अन्य जगहों पर लगी सरिया पूरी तरह दिखाई पड़ रही है. पूरा फ्लैट बालू और घटिया क्वालिटी के सामानों से बना हुआ था. तभी महज 12 सालों में ही फ्लैट जर्जर हो गए हैं. सरकारी मानक के अनुसार भी एक बिल्डिंग का जीवनकाल 50 से 70 साल से ऊपर माना जाता है. लेकिन यह बिल्डिंग महज 12 साल में ही नष्ट करने योग्य हो चुकी है. 


क्या बोले जिलाधिकारी
इस बिल्डिंग में हजारों परिवारों की जान जाने का इंतजार जिला प्रशासन कर रहा है. जिला प्रशासन की कुंभकर्णी नींद आखिर कब टूटेगी .जब कोई बड़ा हादसा हो जाएगा या फिर लोग अपने बीवी और बच्चों सहित सड़कों पर बैठ जाएंगे. फिलहाल जिस तरह स्थिति बनी हुई है उससे रायबरेली जनपद में कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है. जिसका जिम्मेदार सिर्फ और सिर्फ रायबरेली का जिला प्रशासन माना जाएगा. अब देखना यह है कि वह कार्यदायी संस्था पर कार्रवाई करके जर्जर बिल्डिंग की मरम्मत करवाता है या फिर लोगों को मौत के साए में रहने के लिए मजबूर करता है.


अमित कुमार अपर जिलाधिकारी का कहना है कि मीडिया के द्वारा संज्ञान में आया है कि खोर में काशीराम आवास योजना की गुणवत्ता अच्छी ना होने की वजह से प्लास्टर इत्यादि गिर रहे हैं. इस शिकायत को संज्ञान में लेकर के तत्काल इसकी जांच कराई जाएगी. दोषी कराने के बाद जो दोषी लोग होंगे, उनके विरुद्ध नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी. जो नियमानुसार इनको लीज की जाती है, उसके अंतर्गत क्योंकि ये पात्र होते हैं. पात्रता के आधार पर इनको आबंटन किया जाता है और इसकी भी जांच करा ली जाएगी जो लोग आवास को किराए पर दिए हैं. उनको अपात्र घोषित करते हुए नियमानुसार इसमें कार्रवाई की जाएगी.


ये भी पढ़ें-


Firozabad Crime News: भागने की कोशिश कर रहे रेप आरोपी पुलिस मुठभेड़ में घायल, फिरोजाबाद पुलिस ने ऐसे लिया एक्शन