Prayagraj News: यूपी के प्राइमरी स्कूलों में सहायक अध्यापक के 69 हज़ार पदों पर होने वाली भर्ती का विवाद ख़त्म होने का नाम नहीं ले रहा है. इस भर्ती में तकरीबन एक हज़ार खाली बचे पदों पर एक नंबर से पिछड़ने वाले अभ्यर्थी हाईकोर्ट के फैसले के मुताबिक़ नौकरी दिए जाने की मांग को लेकर सैकड़ों की संख्या में अभ्यर्थी प्रयागराज में अनशन पर बैठे हुए हैं. भर्ती परीक्षा कराने वाली संस्था परीक्षा नियामक प्राधिकारी के दफ्तर पर चल रहे अनशन का आज दूसरा दिन है. इस अनशन में यूपी के तमाम जिलों से आए हुए सैकड़ों अभ्यर्थी शामिल हैं, जिनमे बड़ी संख्या में महिलाएं भी हैं.

 

गौरतलब है कि यूपी के प्राइमरी स्कूलों में सहायक अध्यापकों के 69 हज़ार पदों पर भर्ती की परीक्षा साल 2018 के जनवरी महीने में हुई थी. इस परीक्षा में अभ्यर्थियों को डेढ़ सौ सवालों के जवाब देने थे. सभी सवालों के चार विकल्प थे, जिनमे अभ्यर्थियों को सही विकल्प पर टिक करना था. परीक्षा में पूछे गए कई सवालों पर आपत्ति जताई गई थी, हालांकि परीक्षा नियामक प्राधिकारी ने सभी आपत्तियों को खारिज कर दिया था. बाद में चार सवालों का मामला अदालत की दहलीज तक गया था. इलाहाबाद हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच और लखनऊ की सिंगल बेंच ने एक सवाल के चारों विकल्पों को गलत माना था और यह आदेश दिया था कि जो अभ्यर्थी सिर्फ एक नंबर कम रहने से मेरिट में नहीं आ पा रहे हैं, उन्हें गलत सवाल के एक नंबर दे दिए जाएं और सेलेक्शन में उन्हें भी शामिल कर नौकरी दी जाए.

 

25 अगस्त को आया था अदालत का फैसला

 

अदालत का फैसला इसी साल 25 अगस्त को आया था. अदालत के फैसले से सिर्फ एक नंबर कम होने से मेरिट में पिछड़ने वाले तकरीबन आठ सौ अभ्यर्थियों को फायदा मिलना था. चार महीने का वक़्त बीतने के बावजूद परीक्षा नियामक प्राधिकारी ने जब अदालत के आदेश का पालन करते हुए इन अभ्यर्थियों को नौकरी नहीं दी तो सात दिसम्बर को इन्होने यहीं अनशन किया था. उस वक़्त अफसरों ने उन्हें दस दिन में ज़रूरी कदम उठाने की जानकारी देते हुए आंदोलन ख़त्म करा दिया था.

 

इस वजह से अनशन करने को मजबूर हुए अभ्यर्थी

 

करीब पंद्रह दिन का वक़्त बीतने के बाद भी जब प्राधिकारी ने कुछ नहीं किया तो ये अभ्यर्थी एक बार फिर से अनशन करने को मजबूर हो गए हैं. यूपी के कोने कोने से आए ये अभ्यर्थी खुले आसमान के नीचे पिछले दो दिनों से बैठे हैं. इनका कहना है कि इस बार ये किसी बहकावे में नहीं आएंगे और अपना हक़ लेने के बाद ही अनशन ख़त्म करेंगे. अभ्यर्थियों के आंदोलन पर प्राधिकारी के ज़िम्मेदार लोग मीडिया के कैमरों के सामने कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हैं.

 

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