Lok Sabha Election 2024: पीलीभीत से बीजेपी सांसद वरुण गांधी का टिकट कटने के बाद उनकी चर्चाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं. इस सीट पर बीजेपी ने इस बार योगी आदित्यनाथ सरकार के मंत्री जितिन प्रसाद को अपना उम्मीदवार बनाया है. बीते रविवार को बीजेपी ने उत्तर प्रदेश में अपने 13 उम्मीदवारों के नाम का एलान किया था. तब पार्टी ने वरुण गांधी को टिकट नहीं दिया, जबकि उनकी मां मेनका गांधी को फिर से सुल्तानपुर सीट से टिकट दिया गया है. 


इन तमाम राजनीतिक घटनाक्रम के बीच सवाल यह है कि आखिर अब टिकट कटने के बाद वरुण गांधी के पास क्या विकल्प हैं और अभी तक क्या संकेत मिल रहे हैं. इन दोनों ही सवालों का जवाब खोजने के लिए हमें पहले बीते साल जनवरी के राजनीतिक घटनाक्रम को याद करना होगा. तब वरुण गांधी पूरी तरह पार्टी लाइन से अलग चल रहे थे, यही वक्त था जब राजनीति के जानकारों ने उनके लिए बीजेपी से अलग विकल्प खोजना शुरू कर दिया था.


पहले कहा गया कि वह कांग्रेस में जाएंगे, लेकिन उसी दौरान कांग्रेस नेता राहुल गांधी के नेतृत्व वाली भारत जोड़ो यात्रा यूपी पहुंची तो उनके सामने भी यह सवाल जा पहुंचा- क्या वरुण गांधी के लिए कांग्रेस के दरवाजे खुले हैं? तब राहुल गांधी ने कहा था, 'वरुण गांधी ने आरएसएस की विचारधारा को अपनाया है. मैं उनसे मिल सकता हूं, गले लग सकता हूं लेकिन उनकी विचारधारा को नहीं अपना सकता हूं.'


क्या बोले राहुल गांधी
राहुल गांधी यहीं नहीं रूके, उन्होंने आगे कहा, 'वह आरएसएस के दफ्तर में नहीं जा सकते फिर चाहे उनका गला काट दिया जाए. वरुण ने उसी विचारधारा को अपनाया है.' कांग्रेस नेता ने अपने बयानों के जरिए न केवल अटकलों पर विराम लगा दिया, बल्कि वरुण गांधी के लिए कांग्रेस के दरवाजे बंद कर दिए. जब कांग्रेस का दरवाजा बंद हुए तो राजनीति के जानकार बीजेपी सांसद के लिए समाजवादी पार्टी का गेट खोजने में लग गए.


इसके बाद सपा में जाने के कई कयास लगे और तमाम संकेत मिले. सपा के हर दिग्गज नेता ने कभी भी उनके सपा में आने के लिए दरवाजे बंद नहीं किए. खास तौर पर यादव परिवार और अखिलेश यादव ने भी उन्हें लुभाने में कोई कसर नहीं छोड़ी, ऐसा लगा कि वरुण गांधी ने कभी बीजेपी छोड़ने का मन नहीं बनाया था अगर मन बनाते तो राह खुद दिख जाती. पहले चर्चा सपा के प्रमुख महासचिव रामगोपाल यादव की करते हैं. 


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यादव परिवार ने खोले रखे दरवाजे
रामगोपाल यादव से बीते सप्ताह जब पूछा गया तो उन्होंने कहा, 'अगर बीजेपी वरुण गांधी का टिकट काटेगी तो उसपर विचार करेंगे.' अब बात संगठन की सूझ-बूझ रखने वाले सपा के महासचिव चाचा शिवपाल यादव की करते हैं. चाचा शिवपाल के मन की बात को जानने के लिए फिर पिछले साल जनवरी के उसी दौरे को याद करते हुए जब वरुण गांधी के तेवर पूरी तरह तल्ख थे.


जब सपा नेता से वरुण गांधी से जुड़ा सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा, 'भ्रष्ट बीजेपी सरकार को सत्ता से बाहर करने वाले सभी लोगों का स्वागत है.' यानी राम गोपाल यादव से पहले चाचा शिवपाल यादव ने वरुण गांधी को ग्रीन सिग्नल दे दिया था. लेकिन इन तमाम बयानों के बीच सपा प्रमुख अखिलेश यादव का रुख सबसे अहम था. 


बीते ही दिनों की बात है, तब अखिलेश यादव एबीपी न्यूज के खास कार्यक्रम घोषणापत्र में हिस्सा लेने आए हुए थे. उनसे पत्रकार रोहित सवाल ने वरुण गांधी को टिकट देने से जुड़ा सवाल पूछा तो उन्होंने कहा, 'वरुण गांधी को लेकर अभी तक कोई चर्चा नहीं हुई है.' जब उनसे पूछा गया कि क्या उनके लिए सपा के दरवाजे खुले हैं. तब सपा प्रमुख ने कहा, 'पार्टी का सॉफ्ट कॉर्नर तो रहेगा.'


सपा उम्मीदवार ने दिया ऑफर
ऐसे में जब वरुण गांधी को लेकर हर दिन नए कयासों को हवा मिल रही थी. तब शिवपाल यादव और रामगोपाल यादव के बाद अखिलेश यादव ने भी उन्हें ग्रीन सिग्नल दे दिया. बचा हुआ काम पीलीभीत से सपा प्रत्याशी भगवत सरन गंगवार ने पूरा कर दिया. उनसे जब वरुण गांधी से जुड़ा सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा, 'अगर वरुण गांधी सपा में शामिल हुए तो मैं अपनी सीट वरुण के नाम पर छोड़ने को तैयार हूं.'


इन तमाम बयानों पर नजर दौड़ाई जाए तो पता चलता है कि कांग्रेस के लिए उनके दरवाजे जरूर बंद हो सकते हैं लेकिन सपा ने हमेशा उनके लिए दरवाजे खोले रखा है. हालांकि इन तमाम कयासों और अटकलों के बीच एक सबसे खास बात जो रही कि वरुण गांधी ने पार्टी में रहते हुए भले ही बीजेपी सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए हों लेकिन कभी उन्होंने पार्टी के बाहर अपने लिए राह बनाने की कोशिश नहीं की. 


वरुण गांधी लगभग तीन सालों से पार्टी लाइन से बाहर चल रहे थे लेकिन इस दौरान उन्होंने कभी बीजेपी छोड़ने या फिर किसी और दल के साथ जाने पर कोई टिप्पणी नहीं की, या कहा जाए हमेंशा बीजेपी के बाहर अपने लिए विकल्पों पर खामोश रहे. इसकी सबसे बड़ी वजह उनकी मां मेनका गांधी और फिर कांग्रेस के गांधी परिवार को माना जाता रहा है. 


मां की राह पर वरुण गांधी
दरअसल, वरुण गांधी की पूरी राजनीति ही मां मेनका गांधी की राह चलती दिखी है. पहली बार जब उन्होंने चुनाव लड़ा तो मां मेनका गांधी ने बेटे के लिए पीलीभीत सीट खाली की और वरुण गांधी वहां से चुनाव जीते. तब 2009 में मेनका गांधी सुल्तानपुर से चुनाव लड़ी थीं और जीत दर्ज की थी. 2014 में मेनका गांधी की जगह सुल्तानपुर से वरुण गांधी चुनाव लड़े और जीते थे. तब मेनका गांधी पीलीभीत से चुनाव लड़ीं और जीतीं. 


इसके बाद 2019 के चुनाव में फिर दोनों की सीट आपस में बदली और मेनका गांधी सुल्तनापुर से लड़कर जीतीं तो वरुण गांधी पीलीभीत से लड़कर जीते थे. हालांकि ये तो बात उनकी मां मेनका गांधी की हो गई. अब बात कांग्रेस के गांधी परिवार की करें तो मेनका गांधी का पूरा राजनीतिक करियर कांग्रेस और कांग्रेस का नेतृत्व करने वाले गांधी परिवार के खिलाफ रहा है. 


इस वजह से भी वरुण गांधी कभी बीजेपी और मां मेनका गांधी से दूर अपने लिए रास्ता शायद ही खोजने की कोशिश करते नजर आए हों. इन तमाम पहलुओं पर गौर करने के बाद अब बात 2024 के लिए उनके पास बचे विकल्प और संकेतों पर करते हैं. बीते रविवार को जब बीजेपी ने पीलीभीत सीट पर अपने उम्मीदवार के नाम का एलान किया तो वरुण गांधी की जगह मंत्री जितिन प्रसाद को तवज्जो दे दी गई.


जितिन प्रसाद से दूर बीजेपी सांसद 
इसके बाद फिर एक बार कयासों का दौर शुरू हुआ. इस बार फिर से कयासों को तस्वीरों ने बल दिया. बीते तीन दिनों से जितिन प्रसाद पीलीभीत में टिकट मिलने के बाद डेरा डाले हुए हैं. बुधवार को उन्होंने अपना नामांकन भी कर दिया. लेकिन इस तमाम राजनीतिक घटनाक्रम के बीच वरुण गांधी कभी जितिन प्रसाद या पीलीभीत में बीजेपी के किसी कार्यक्रम में नजर नहीं आए.


दूसरी ओर जब यूपी बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी से वरुण गांधी का टिकट कटने से जुड़ा सवाल किया गया तो उन्होंने कहा, 'वरुण गांधी पार्टी के बड़े नेता हैं, वरुण गांधी तीन बार सांसद रहे हैं. बीजेपी ने और लोगों को मौका दिया जाता है. मुझे पूरा विश्वास है वरुण गांधी पार्टी के साथ रहेंगे.' 


भूपेंद्र चौधरी के बाद बचा हुआ काम वरुण गांधी की मां मेनका गांधी ने पूरा कर दिया. मेनका गांधी ने दैनिक जागरण के साथ बातचीत के दौरान वरुण गांधी से जुड़े सवाल पर जवाब दिया. वरुण गांधी को लेकर कयास हैं कि उन्हें रायबरेली से मौका मिल सकता है. ऐसा नहीं हुआ तो वह निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे, इसपर मेनका गांधी ने कहा, 'यह सब अफवाह है.'


अब मेनका गांधी एक अप्रैल से सुल्तानपुर में चुनावी मैदान में प्रचार करने उतरेंगी. राजनीति पर बारीकियों से नजर रखने वाले वरुण गांधी के करीबी बताते हैं कि मां मेनका गांधी के चुनाव प्रचार में हिस्सा लेने के लिए वरुण गांधी सुल्तानपुर जाएंगे. अब अगर ऐसा होता है कि सालों से चली आ रही कयासों पर विराम लग जाएगा.