Om Prakash Rajbhar News: सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर ने एक बार फिर से बिहार में हुई जातीय गणना को लेकर निशाना साधा है. राजभर मंगलवार (4 अक्टूबर) को गाजीपुर पहुंचे थे, जहां पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने जातीय गणना पर सवाल उठाए और कहा कि कई अति पिछड़ी बस्तियों में तो गया ही नहीं है. वहीं सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव को भी उन्होंने आड़े हाथों लिया. 


सुभासपा अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर ने कहा कि बिहार में हुई जातीय गणना से दो बातें उभरकर आई हैं कि एक तो 36 प्रतिशत जो अति पिछड़ा वर्ग है उसके साथ वहां के सरकार चलाने वाले लोगों ने सामाजिक न्याय नहीं किया है. बिहार में सालों से सामाजिक न्याय की बात करने वाले लालू जी और नीतीश जी हैं और ये दोनों हों चाहें कांग्रेस पार्टी के लोग हों 36 परसेंट में से किसी को 75 साल में सीएम नहीं बनाया. तो इनका सामाजिक न्याय कहां है.


राजभर ने उठाए जातीय गणना पर सवाल


ओम प्रकाश राजभर ने रजवा, राजवंशी, राजभर जैसी 6 जातियों को गिनाते हुए कहा ये अति पिछड़ा वर्ग में आती हैं, इन्हें मिलाकर आधा पर्सेंट भी गणना में नहीं है. राजभर समेत कई जातियों की बस्ती में कोई जनगणना करने गया ही नहीं है. वहीं अखिलेश यादव को लेकर कहा कि उन्हें तो इस मामले पर पहले अपने गिरेबान में झांकना चाहिए, नीतीश जी ने सीएम रहते जातिगत गणना तो करा दी, लेकिन वो भी तो 5 साल मुख्यमंत्री थे, उन्होंने क्यों नहीं कराई. अखिलेश पीडीए की बात करते हैं, लेकिन अगर ऐसा होता तो यूपी में उनकी सरकार होती. 


दलबदलू के बयान पर पलटवार


पल्लवी पटेल के दलबदलू वाले बयान पर ओम प्रकाश राजभर ने कहा कि उन्होंने तो अपनी पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष होते सपा के निशान पर चुनाव लड़ा था, वो पहले खुद को देखें उन्होंने क्या किया है. जब वो गठबंधन करते हैं तो दलबदलू नहीं कहलाते हैं हम करते हैं तो दलबदलू हैं. विपक्ष का गठबंधन ईडी सीबीआई की बात करता है और सभी ईडी सीबीआई से डरते हैं. 


मायावती पर क्या बोले राजभर


मायावती के इंडिया और बीजेपी गठबंधन से दूर रहने पर ओमप्रकाश राजभर ने कहा कि मायावती बीजेपी के सपोर्ट से ही तीन बार मुख्यमंत्री रहीं हैं, पर आज वो भूल गयी हैं. ममता बीजेपी से समझौता करके ही रेल मंत्री बनी थीं. उद्धव ठाकरे सीएम बने, कहां कौन अछूता है सभी लोग तो मलाई काट चुके हैं. सभी मुसलमानों को भय दिखाकर उनका वोट लेते हैं पर मुसलमानों के लिये करते कुछ नहीं हैं. वोटर कब किधर करवट ले कोई नहीं कह सकता. 


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