बस्ती: अंदर बेड खाली हैं, बाहर वेटिंग में मरीज तड़प रहे हैं. ये हाल है महर्षि वशिष्ठ मेडिकल कॉलेज से संबद्ध कैली हॉस्पिटल का. हॉस्पिटल 350 बेड का है लेकिन लगभग 200 बेड ही संचालित किए जा रहे हैं. पांच वार्डों में लगे डेढ़ सौ बेड ताले में कैद हैं. कैली हास्पिटल को कोविड का एल 2 हॉस्पिटल बनाया गया है. 


जटिल है प्रक्रिया 
मरीजों को बेहतर चिकित्सा सुविधा मिले, इसके लिए कोरोना की पहली लहर में ही हॉस्पिटल को संसाधनों से इसे लैस किया गया था. 107 वेटिंलेटर मुहैया कराए गए. इसके अलावा आरटीपीसीआर जांच के लिए अत्याधुनिक लैब, सीटी स्कैन सहित अन्य जरूरी इंतजाम किए गए. प्रधानाचार्य की मनमानी का आलम ये है अब यहां ईएमओ को कोविड के मरीज भर्ती करने के लिए अनुमति लेनी होती है. ये प्रक्रिया इतनी लंबी है कि इसमें कोरोना के गंभीर मरीज बेड के इंतजार में सुबह से शाम तक बाहर ही पड़े रह जाते हैं. 


जरूरत पड़ने पर सिलेंडर से ऑक्सीजन दी जाती है
हॉस्पिटल में 240 बेड पर पाइप से ऑक्सीजन की सप्लाई है. जबकि, 110 बेड पर सिलेंडर के जरिए ऑक्सीजन देने की व्यवस्था है. 240 में से 90 बेड को एचडीयू यानी हाईडिपेंसी यूनिट बनाया गया है. यहां प्रत्येक बेड पर पाइप से ऑक्सीजन, वेंटिलेटर और वाइपैप मशीनें लगी हुई हैं. इस तरह से 17 वेंटिलेटर रिजर्व में रखे गए हैं. इसे संचालित करने के लिए दो ऑपरेटर और महज एक विशेषज्ञ हैं. एचडीयू में कोरोना के गंभीर मरीज रखे जाते हैं. 41 मरीज सामान्य वार्ड में रखे गए हैं, जहां जरूरत पड़ने पर सिलेंडर से ऑक्सीजन दी जाती है. 


ये है परेशानी 
इस तरह बेड खाली रहने के बाद भी हॉस्पिटल में मरीजों को जगह पाने के लिए सांसद, विधायक के अलावा अफसरों से सिफारिश करानी पड़ रही है. मेडिकल कॉलेज हो या जिला अस्पताल. जहां कोरोना के मरीज भर्ती किए जा रहे हैं वहां 48 घंटे ऑक्सीजन का बैकअप रखने का शासनादेश है लेकिन बस्ती के मेडिकल कॉलेज में प्रतिदिन की डिमांड के अनुसार ही ऑक्सीजन चिकित्सकों को नहीं मिल पा रहा है.  चिकित्सकों की मानें तो कोविड के 131 मरीज भर्ती हैं. इनके लिए प्रतिदिन पांच सौ ऑक्सीजन सिलेंडर चाहिए. लेकिन, मेडिकल कॉलेज में 489 सिलेंडर ही हैं. मतलब बैकअप की बात छोड़िए प्रतिदिन की ही डिमांड पूरी नहीं हो पा रही है. 


कोरोना के गंभीर मरीज के लिए चार से पांच सिलेंडर लग जाते हैं
ऑक्सीजन की कमी ना हो इसके लिए नायब तहसीलदार और लेखपाल की ड्यूटी मगहर में ऑक्सीजन प्लांट पर लगाई गई है. दो वाहन सिलेंडर लाने और ले जाने के लिए लगाए गए हैं. जैसे ही पचास सिलेंडर खाली होते हैं, गाड़ी दौड़ा दी जाती है. एक सिलेंडर में 7.84 घनमीटर गैस होती है. सामान्य मरीज के लिए एक सिलेंडर पर्याप्त है. कोरोना के गंभीर मरीज के लिए चार से पांच सिलेंडर लग जाते हैं.  


मेडिकल कॉलेज की व्यवस्था सुधर रही है
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर एक कोविड मरीज को उसके स्वजन ले गए तो वहां से चिकित्सक ने कैली हास्पिटल रेफर कर दिया. सुबह 10 बजे से लेकर परिजन परेशान रहे लेकिन बेड नहीं मिला. हालत बिगड़ने लगी तो लेकर चले गए. सीडीओ राजेश प्रजापति का कहना है कि अब मेडिकल कॉलेज की व्यवस्था सुधर रही है.


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