लखनऊ. पंचायत चुनाव में ड्यूटी के दौरान कोरोना से जान गंवाने वाले कर्मचारियों को प्रदेश सरकार 30 लाख रुपये की आर्थिक सहायता देगी. सरकार ने 135 शिक्षकों की कोरोना से मौत को स्वीकार किया है. इन सभी के परिवारजनों को 30-30 लाख रुपये की सहायता दी जाएगी. हालांकि, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सरकार से मृतकों के परिजनों को एक-एक करोड़ रुपये की राशि देने पर विचार करने को कहा था.


अपर मुख्य सचिव पंचायती राज मनोज कुमार सिंह ने बताया कि सभी जिलाधिकारियों से चुनाव प्रशिक्षण व ड्यूटी में जान गंवाने वाले कर्मियों का ब्योरा मांगा गया है. तीन दिन के भीतर जिलाधिकारियों को अपने-अपने जनपदों में पंचायत ड्यूटी के दौरान कोरोना से जान गंवाने वाले लोगों का विवरण भेजना है. अपर मुख्य सचिव के मुताबिक, मृत कर्मचारियों की निर्वाचन ड्यूटी का प्रमाणपत्र, मृत्यु प्रमाणपत्र, एंटीजन अथवा आरटीपीसीआर रिपोर्ट, सीएमओ या सीएमएस द्वारा जारी प्रमाण पत्र व अन्य आवश्यक अभिलेख उपलब्ध कराए जाएं.


हाईकोर्ट में हुई थी सुनवाई
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने चुनाव के दौरान जान गंवाने वाले शिक्षकों के मामले पर सुनवाई के दौरान राज्य चुनाव आयोग को पेश होकर अपना पक्ष रखने के लिए नोटिस जारी किया था. कोर्ट ने इस मामले में चुनावों की सीसीटीवी फुटेज सहित अन्य साक्ष्य भी मांगे थे. इस मामले की सुनवाई के दौरान ही प्रदेश सरकार ने कोर्ट को यह जानकारी दी.


पंचायत चुनाव में ड्यूटी के दौरान कई शिक्षक हुए थे कोरोना संक्रमित
मालूम हो कि पंचायत चुनाव में ड्यूटी के दौरान कई शिक्षक कोरोना संक्रमित हो गए थे. इसके कुछ दिन बाद बड़ी संख्या में शिक्षकों की मौत भी हुई थी. शिक्षक नेताओं ने आरोप लगाया था कि यह मौतें कोरोना से संक्रमित होने के कारण हुई हैं. शिक्षकों के एक संगठन ने ऐसे शिक्षकों की संख्या 700 से ज्यादा बताई थी. हालांकि, सरकार ने सिर्फ 135 शिक्षकों की असमय मृत्यु को स्वीकार किया और उन्हें 30 लाख रुपये मुआवजा देने पर सहमत हुई है.


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