Chandauli Massacre News: माफिया बृजेश सिंह (Mafia Brijesh Singh) के खिलाफ दाखिल अर्जी पर इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) में सुनवाई शुरू हो गई है. मामला चंदौली जिले में 36 साल पहले हुए सामूहिक नरसंहार का है. वाराणसी कोर्ट के फैसले को हीरावती नाम की महिला ने हाईकोर्ट में चुनौती दी है. हाईकोर्ट में हीरावती का पक्ष रख रहे अधिवक्ता उपेंद्र उपाध्याय ने दलील दी कि हत्याकांड का चश्मदीद गवाह मौजूद होने के बावजूद पुलिस आरोपियों को सजा दिलाने में नाकाम रही.


माफिया डॉन ब्रजेश सिंह को सजा देने की मांग


आरोपी गवाहों के बयान में भिन्नता होने के कारण निचली अदालत से रिहा हो गए. बृजेश सिंह पर वाराणसी जिले के बलुआ पुलिस स्टेशन में आईपीसी की धारा 148, 149, 302, 307, 120बी और आर्म्स एक्ट की धारा 25 के तहत एफआईआर दर्ज है. हीरावती के पति, दो देवर और चार मासूम बच्चों की निर्मम हत्या कर दी गई थी. सामूहिक हत्याकांड में पीड़िता की बेटी घायल हुई थी. जिला कोर्ट ने बेटी के बयान पर गौर नहीं किया. जघन्य हत्याकांड में बरी हो चुके बृजेश सिंह को सजा दिए जाने की मांग की गई है. 


हाईकोर्ट में चंदौली नरसंहार की सुनवाई शुरू


चीफ जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर और जस्टिस अजय भनोट की खंडपीठ दाखिल अर्जी पर सुनवाई कर रही है. माफिया बृजेश सिंह को 7 लोगों की हत्या का आरोपी बनाया गया था. ट्रायल कोर्ट और सेशन कोर्ट बृजेश सिंह को 2018 में बरी कर चुका है. आरोपियों को गवाहों के बयान में भिन्नता का फायदा मिला. जिला कोर्ट ने 2018 में सभी 13 आरोपियों को बरी कर दिया था. परिवार के सात लोगों की हत्या मामले में पुलिस किसी को भी सजा नहीं दिला पाई. अगली सुनवाई दशहरा की छुट्टी के बाद होगी. हाईकोर्ट में 36 साल पुराने मामले की सुनवाई शुरू होने से चंदौली का सामूहिक हत्याकांड एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है. 


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