लखनऊ: उत्तर प्रदेश की जिन जेलों को कभी अराजकता और अपराधियों की पनाहगाह कहा जाता था आज वो जेलें बदल रही हैं. जेलों की तस्वीर बदल रही है और उनके अंदर का माहौल भी बदल रहा है. अपराध करने के बाद जेल की सलाखों के पीछे गए तमाम युवा जिंदगी को नया रूप देने में लगे हैं. ये नया रूप शिक्षा का है, यूपी की जेलों में बंद कैदी शिक्षित हो रहे हैं और उनको ये रूप कोई और नहीं उनके ही साथ के बंद दूसरे उच्च शिक्षित दे रहे हैं.


उत्तर प्रदेश की जिन जिलों में क्षमता से अधिक 1 लाख 12 हजार कैदी बंद हैं और जिसमें तमाम गैंगस्टर, आतंकवादियों के साथ-साथ सुपारी किलर, असलहा तस्कर भी शामिल है. इन जेलों में बंद सिर्फ 10 फीसदी ही पेशेवर अपराधी हैं, बाकी हत्या, दहेज हत्या, बलात्कार, मारपीट, छेड़खानी जैसे परिस्थितिजन्य हुए अपराधों में बंद हैं. लेकिन यूपी की जेलों की एक और तस्वीर भी है. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की मानें तो उत्तर प्रदेश की जेलों में सबसे ज्यादा पढ़े लिखे कैदी बंद है. जिनमें ग्रेजुएट, पोस्ट ग्रैजुएट, डिप्लोमा होल्डर से लेकर इंजीनियर और सॉफ्टवेयर इंजीनियर तक शामिल हैं.


क्या कहते हैं आंकड़े
आंकड़ों के मुताबिक विचाराधीन कैदियों में 11711 कैदी उच्च शिक्षित, 8151 ग्रेजुएट, 2635 पोस्ट ग्रेजुएट हैं. 925 इंजीनियर या डिप्लोमा होल्डर हैं. सजायाफ्ता कुल 2828 कैदियों में, 2005 ग्रेजुएट, 625 पोस्ट ग्रेजुएट, 198 डिप्लोमा होल्डर हैं. विचाराधीन 8883 कैदियों में 6146 ग्रेजुएट, 2010 पोस्ट ग्रेजुएट और 727 इंजीनियर डिप्लोमा होल्डर बंद हैं.


शिक्षा की अलख जगाई जा रही है
पढ़े-लिखे कैदियों की मदद से यूपी की जेलों में शिक्षा की अलख जगाई जा रही है. ज्ञान की गंगा बह रही है. उच्च शिक्षित कैदी जेलों के अंदर न सर पढ़ा रहे हैं बल्कि कोचिंग भी चला रहे हैं. जिसका नतीजा है कि बीते साल हुए 10वीं और 12वीं के बोर्ड परीक्षा में शामिल हुए कैदियों में 70 फीसदी कैदी अच्छे नंबरों से पास भी हुए. इतना ही नहीं जेल में हर कैदी के आने-जाने, नाम पता, शिक्षा, अपराध, पेशी जैसी तमाम जानकारियों वाले ई प्रिजन मॉड्यूल को भी यही शिक्षित कैदी और इनके पढ़ाए जा रहे कैदी तैयार कर रहे हैं, डाटा फीडिंग भी कर रहे हैं. कैदियों के बीच बढ़ रहे शिक्षा के महत्व को देखते हुए ही नोएडा और फिरोजाबाद की जेल में राष्ट्रीय मुक्त विद्यालय का सेंटर खोला गया है.


अपराध से तौबा
अब कैदी नेशनल ओपन स्कूल से प्रारंभिक शिक्षा से लेकर इग्न, राजर्षि टंडन मुक्त जैसे संस्थानों से डिस्टेंस लर्निंग कोर्स बीएए, एमए बीएससी तक कर रहे हैं. यानी एक तरफ जेलों में कैदियों के लिए सरकार स्वाबलंबन के तमाम योजनाएं चला रही है तो वहीं दूसरी ओर कैदी भी खुद को शिक्षित कर अपराध से तौबा करने की कोशिश कर रहे हैं.


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