Uttarakhand Lok Sabha Chunav 2024: उत्तराखंड में पांच लोकसभा सीटों में प्रत्याशियों की किस्मत का फैसला ढाई लाख सरकारी कर्मचारी वोटर करेंगे. उत्तराखंड के ढाई लाख कर्मचारी भी चुनाव में निर्णायक भूमिका निभाएंगे. उपनल, संविदा, आउटसोर्स के मिलाकर करीब 40 हजार कर्मचारी हैं और निगमों-निकायों के भी करीब 40 हजार कर्मचारी हैं, इसके अलावा 1,75,000 तो सरकारी कर्मचारी है.


उत्तराखंड के ढाई लाख से ज्यादा सरकारी, संविदा, आउटसोर्स कर्मचारी राज्य में चुनावी हवा बनाने और चुनाव का रुख मोड़ने का दम रखते हैं. इन कर्मचारियों की मुख्य मांगें राष्ट्रीय स्तर भी एक साथ उठती आ रही हैं. कई सरकारों ने इनकी मांगों को प्राथमिकता दी और सत्ता में आने पर पूरा भी किया. उत्तराखंड में ढाई लाख से अधिक सरकारी और गैर सरकारी कर्मचारी हैं जिनके हाथ में सरकार बदलने की ताकत है. ये कर्मचारी इस बार किसके पक्ष में वोट करेंगे ये देखने वाली बात होगी.


कर्मचारी संगठनों की ये हैं प्रमुख मांगे
कर्मचारी संगठनों का कहना है कि इस बार के चुनाव में भी कर्मचारियों के पास कई मुद्दे हैं, लेकिन इनमे सबसे बड़ा मुद्दा पुरानी पेंशन बहाली का है जो काफी समय से उठता आ रहा है, राष्ट्रीय पुरानी पेंशन बहाली संयुक्त मोर्चा के अध्यक्ष बीपी सिंह रावत का कहना है कि देश के 85 लाख एनपीएस कार्मिक हैं. वोट शत-प्रतिशत हो, इसके लिए एनपीएस कार्मिक जनजागरण अभियान चला रहे हैं, ताकि वोट देने से कोई रह न जाए. 


कर्मचारी नेताओं की माने तो उनका कहना है कि आयकर सीमा कम से कम 10 लाख रुपये करने, संविदा व उपनल कर्मचारियों का नियमितीकरण और आठवें वेतन आयोग का गठन जल्द होना चाहिये. उनका कहना है कि भले ही इन मुद्दों का अभी तक समाधान नहीं हो पाया है, लेकिन उम्मीद है कि अब जिस भी पार्टी की सरकार आएगी, वो इनका समाधान जरूर करेगी.


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