Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव के बीच यूपी का एटा जनपद एक बार फिर सुर्खियों में है, इसकी वजह बेहद खास है. एटा जनपद की जनता 1957 से ही अपने सांसदों का चुनाव करती रही है, ये एक ऐसा जनपद है जहां की जनता एक दो नहीं बल्कि तीन सांसदों को चुनाव करती है. 


दरअसल एटा जनपद में 2008 से पहले एटा सदर, निधोली कलां, जलेसर, अलीगंज, कासगंज, पटियाली, सोरों, सकीट विधानसभा क्षेत्र हुआ करते थे. लोकसभा क्षेत्र के बंटवारे में एटा जनपद के कासगंज विधानसभा बदायूं लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा थी. एटा जनपद की निधौली और जलेसर विधानसभा जलेसर लोकसभा क्षेत्र का का हिस्सा थी.एटा लोकसभा क्षेत्र के लिए एटा सदर, पटियाली, सोरों, सकीट और अलीगंज विधानसभा क्षेत्र हिस्सा थे. 


एटा लोकसभा सीट का इतिहास
एटा लोकसभा क्षेत्र से 1952 में पहली बार कांग्रेस के टिकट पर रोहन लाल चतुर्वेदी सांसद चुनकर संसद पहुंचे. 1957 और 1962 के चुनाव में हिंदू महासभा के बिशन चंद्र सेठ को जनता ने अपना सांसद चुना. 1967 और 1971 के चुनाव में फिर कांग्रेस के रोहन लाल चतुर्वेदी ने जीत दर्ज की तो 1977 के चुनाव में जनता पार्टी के टिकट पर महादीपक सिंह शाक्य ने जीत दर्ज की. 


1980 में कांग्रेस के मुशीर अहमद खान सांसद बने और 1984 में लोक दल के प्रत्याशी मोहम्मद महफूज अली एटा लोकसभा के सांसद चुने गए. इसके बाद 1989, 1991, 1996 से 1998 तक भाजपा के महादीपक शाक्य लगातार चार बार सांसद चुने गए इस तरह उन्होंने एटा लोकसभा से पांच बार बतौर सांसद लोकसभा का प्रतिनिधित्व किया. 


1999 में भाजपा के महादीपक सिंह शाक्य को समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी कुंवर देवेंद्र सिंह यादव ने हरा दिया और वो 1999 और 2004 में दो बार सपा के सांसद रहे.  


जलेसर सीट पर ऐसा रहा सियासी समीकरण
2008 के परिसीमन से पहले जलेसर लोकसभा क्षेत्र में जलेसर निधौली फिरोजाबाद की टूंडला आगरा की एत्मादपुर और मथुरा की सादाबाद सीट इस लोकसभा के अस्तित्व का निर्माण करती थी. 1952 में दो बार कृष्ण चंद्र सिंह कांग्रेस से सांसद चुने गए. 1962 में स्वतंत्र पार्टी के कृष्ण पाल सिंह सांसद बने. 1977 और 1980 में चौधरी मुल्तान सिंह जनता पार्टी के टिकट पर संसद पहुंचे.  


साल 1984 में कांग्रेस के कैलाश चंद्र यादव ने चौधरी मुल्तान सिंह को मात दे दी. 1989 में फिर चौधरी मुल्तान सिंह जीते. 1991 में राम मंदिर लहर शुरू हुई तो जलेसर की जनता ने स्वामी सुरेशानंद को सांसद भेजा. 1996 में इसी लहर में भाजपा के ओमपाल सिंह निडर सांसद बने तो 1998 और 2004 में सपा के एसपी सिंह बघेल सांसद बने. 2008 के परिसीमन में जलेसर लोकसभा का अस्तित्व समाप्त हो गया. 


बदायूं सीट भी रही एटा का हिस्सा
एटा जनपद के हिस्से में तीसरी लोकसभा बदायूं थी. एटा जनपद की कासगंज विधानसभा के मतदाता बदायूं लोकसभा से अपना सांसद चुनते थे. बदायूं से 1952 में पहली बार कांग्रेस के बदन सिंह, 1957 में कांग्रेस के ही रघुवीर सहाय सांसद बने. 1962 और 67 में जन संघ के ओंकार सिंह और 1971 में कांग्रेस के करण सिंह यादव सांसद बने. 


1977 में जनसंघ के ओंकार सिंह, 1980 में कांग्रेस के असरार अहमद, 1984 में कांग्रेस के सलीम शेरवानी, 1989 में जनता दल से शरद यादव, 1991 में भाजपा के स्वामी चिन्मयानंद, 1996 से 2004 तक सपा से सलीम शेरवानी बदायूं से सांसद बने. 2008 के परिसीमन के बाद 2009 और 2014 में सपा के धर्मेंद्र यादव संसद गए. 2019 के चुनाव में बदायूं बीजेपी की संघमित्रा मौर्य चुनाव जीतीं. 


एटा जनपद से तीन सांसद चुनने का यह सिलसिला लगातार जारी है. अब एटा जनपद के मतदाता एटा लोकसभा, आगरा लोकसभा और फर्रुखाबाद लोकसभा के सांसदों को अपना जनादेश देते हैं. 2009 के लोकसभा चुनाव में एटा लोकसभा क्षेत्र में कासगंज जनपद की तीन विधानसभाएं कासगंज पटियाली और अमापुर के साथ एटा सदर और मरेरा विधानसभा मिलकर लोकसभा क्षेत्र का निर्माण हुआ. 


2009 में पहली बार परिसीमन के बाद हुए चुनाव में उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के कद्दावर नेता कल्याण सिंह अपनी पार्टी जन क्रांति पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा और उन्होंने बसपा के देवेंद्र सिंह यादव को करारी माता दी. 2014 के चुनाव में कल्याण सिंह ने भाजपा में वापसी की. 2014 और 2019 के चुनाव में उनके बेटे राजवीर सिंह सांसद बने. इस बार भी बीजेपी ने राजवीर सिंह को ही टिकट दिया है. 


एटा जनपद की अलीगंज विधानसभा अब फर्रुखाबाद लोकसभा क्षेत्र में है परिसीमन के बाद 2009 के चुनाव में फर्रुखाबाद से सलमान खुर्शीद ने फर्रुखाबाद से कांग्रेस के पुराने और कद्दावर नेता सलमान खुर्शीद ने चुनाव जीता तो 2014 और 2019 में फर्रुखाबाद सीट पर भाजपा के मुकेश राजपूत का दबदबा कायम रहा. 2024 में भी वो ही प्रत्याशी हैं. 


एटा जनपद की जलेसर विधानसभा 2008 के परिसीमन के बाद आगरा लोकसभा में शामिल हो गई.2009 के चुनाव में जलेसर भाजपा के राम शंकर कठेरिया सांसद बने, 2014 में भी वो यहां सांसद बने लेकिन 2019 में बीजेपी ने एसपी सिंह बघेल पर भरोसा दिखाया और बघेल ने जीत हासिल की. इस बार बार भी एसपी सिंह बघेल ही बीजेपी के प्रत्याशी हैं.


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