INDIA Alliance: लोकसभा चुनाव से पहले जहां बीजेपी का कुनबा और मज़बूत होता जा रहा है, आए दिन नए साथी एनडीए के साथ जुड़ रहे हैं तो वहीं इंडिया गठबंधन को लगातार झटके पर झटके लग रहे हैं. हालत ये है कि जब विपक्षी दलों के गठबंधन को एकसाथ मिलकर चुनावी मैदान में होना चाहिए तो उनके बीच की कलह खुलकर सामने आ रही है. यूपी में पिछले छह दिनों में ही इंडिया अलाइंस को चार बड़े झटके लग चुके हैं जिससे विपक्ष की लड़ाई कमजोर होती दिख रही है. 


समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव लगातार पीडीए का नारा बुलंद कर रहे हैं. उनका कहना है कि पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक मिलकर एनडीए को हराएँगे और उनका गठबंधन यूपी में ही एनडीए को सत्ता में जाने से रोकेगा. लेकिन, फ़िलहाल तो ऐसा होते नहीं दिख रहा. जैसे-जैसे चुनाव नज़दीक आ रहे हैं यूपी में विपक्ष के बीच बिखराव हो रहा है. 


इंडिया गठबंधन को 6 दिन में 4 झटके
यूपी में इंडिया गठबंधन को सबसे पहला झटका राष्ट्रीय लोकदल ने दिया, जब जयंत चौधरी ने तमाम अटकलों के बीच एनडीए में जाने का एलान कर दिया. जयंत सपा के साथ सीटों के बंटवारे को लेकर नाराज़ बताए जा रहे थे. इधर जैसे ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके दादा चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न देने का एलान किया, जयंत का दिल खुश हो गया. 12 फ़रवरी को जयंत चौधरी ने कहा कि उन्होंने पार्टी के सभी विधायकों से बात करने के बाद एनडीए में जाने का फ़ैसला लिया है. 


सपा को दूसरा झटका पार्टी के अंदर से ही लगा जब 13 फ़रवरी को पिछड़ों के बड़े नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने राष्ट्रीय महासचिव पद से इस्तीफ़ा दे दिया. अखिलेश यादव ने जैसे ही सपा के राज्यसभा उम्मीदवारों को एलान किया मौर्य की नाराज़ हो गए. कहा जा रहा है कि वो ख़ुद राज्यसभा जाना चाहते थे. उन्होंने एक लंबी चौड़ी चिट्ठी लिखकर इस्तीफा दे दिया. हालाँकि उन्होंने ये भी कहा कि वो पार्टी के कार्यकर्ता के तौर पर काम करते रहेंगे. 


पल्लवी पटेल भी नाराज़
सपा को तीसरा झटका 13 फ़रवरी को ही कुछ घंटों के बाद लगा जब उनकी सहयोगी अपना दल कमेरावादी की पल्लवी पटेल ने दिया, जब उन्होंने राज्यसभा में अभिनेत्री जया बच्चन और आलोक रंजन के नामों पर आपत्ति जताई. उन्होंने कहा कि सपा पीडीए की बात करती है लेकिन उन्होंने ये लगाई फ़िल्मी बना दी है. वो सपा प्रत्याशी को वोट नहीं करेंगी. उनकी पार्टी गठबंधन की समीक्षा करेगी.    


यूपी में इंडिया गठबंधन को चौथा झटका कांग्रेस पार्टी में लगा, जब 14 फरवरी को पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के बेटे विभाकर शास्त्री ने कांग्रेस से इस्तीफ़ा दे दिया और कुछ बीजेपी में शामिल हो गए. उन्होंने यूपी की फ़तेहपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा था लेकिन, वो चुनाव हार गए थे. 


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